जैविक खेती को अपनाया, प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया
अरुण राय पुराघाट (मऊ) वर्तमान समय में पूरा देश कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है। तमाम बी
अरुण राय, पुराघाट (मऊ)
वर्तमान समय में पूरा देश कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है। तमाम बीमारियों से ग्रसित होकर लोगों का जीवन अंग्रेजी दवा पर निर्भर हो गया है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है हमारा खान-पान। खेतों में अधिक पैदावार बढ़ाने की गरज से लोग अधिक संख्या में उर्वरक का प्रयोग कर रहे है। यह उर्वरक जहर के रूप में हमारे शरीर में प्रवेश कर रहा है। इसकी वजह से हमारे शरीर रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण होती जा रही है। यही वजह है कि लोग तमाम बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। इससे इतर कोपागंज क्षेत्र के कसारा गांव निवासी पूर्व आयुर्वेदिक अधिकारी डा. नागेंद्र राय जैविक खेती कर लोगों को जहां प्रेरित कर रहे हैं वहीं किसानों को आईना दिखा रहे हैं। यही नहीं कीटनाशक के रूप में वह नीम का तेल का छिड़काव करते हैं। उनकी खेतों में दोनों फसली देखकर हर किसान सोचने पर मजबूर हो जा रहा है। क्षेत्र के कसारा गांव निवासी वैद्य डा. राय राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय दिलदालनगर गाजीपुर में प्रभारी चिकित्साधिकारी के पद पर तैनात थे । 2013 में रिटायरमेंट हो गए। इसके बाद वह घर पर रहकर खेती करने का निर्णय लिए। उन्होंने जैविक विधि से खेती करना शुरू कर दिया। अन्न उपजाने के लिए उर्वरक खादों को खेतों में डालने से पूर्ण रूप से परहेज किया। उर्वरक की जगह उन्होंने जैविक खाद सरसो की खली, आर्गेनिक एवं नीम के तेल का प्रयोग किया। इसका छिड़काव कर खेत की उर्वरता को बढ़ाया ही है साथ ही उर्वरक खाद को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया। कहा कि यह फसलों के उत्पादन में तो सहायक हैं लेकिन सेहत के लिए जहर के सामान है। उन्होंने जब अपने सात बीघे जमीन पर जैविक विधि से खेती प्रारंभ किया तो आस-पास के लोग उन्हें मना किया।लेकिन ²ढ़ इच्छाशक्ति से पहले साल उन्होंने एक बीघे में चार क्विटल गेहूं एवं पांच क्विटल धान उपजाया। फिर हर साल उत्पादन बढ़ता गया और सात साल बाद वही खेत पूर्ण रूप से उपजाऊ खेत बन गया है। उत्पादन एक बीघे में सात से आठ कुंतल बढ़ गया है। जो किसान डा. राय को जैविक खेती करने पर मना करते थे, आज उनसे राय लेने आते हैं। दूसरे भी उसी विधि से खेती करना प्रारंभ कर दिए हैं। डा. नागेंद्र एक एकड़ खेत में 20 किलो सरसो की खरी एवं पांच किलो आर्गेनिक डालते हैं। फसलों में रेड़ा आने पर नीम के तेल का छिड़काव करते हैं जिससे कीटनाशक किट नही लगते और फसल सुरक्षित रहती है। उनकी खेती देखने के लिए दूरदराज के किसान भी आ रहे हैं। डा. राय का कहना है कि अगर स्वस्थ रहना है तो जैविक खेती करना होगा। जैविक खेती से उपजा अन्न शरीर में जहर नहीं बनाता है।