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उम्मीदवार फरार पर तगड़े मैनेजमेंट ने दिलाई जीत

महागठबंधन के प्रत्याशी अतुल राय घोसी लोकसभा क्षेत्र के सांसद चुन लिए गए और बड़ी बात ये कि वे दुष्कर्म के आरोप में दर्ज मुकदमे में गिरफ्तारी से बचने के लिए पुलिस से भागे-भागे फिर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 05:58 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 05:58 PM (IST)
उम्मीदवार फरार पर तगड़े मैनेजमेंट ने दिलाई जीत
उम्मीदवार फरार पर तगड़े मैनेजमेंट ने दिलाई जीत

जागरण संवाददाता, मऊ : महागठबंधन के प्रत्याशी अतुल राय घोसी लोकसभा क्षेत्र के सांसद चुन लिए गए और बड़ी बात ये कि वे दुष्कर्म के आरोप में दर्ज मुकदमे में गिरफ्तारी से बचने के लिए पुलिस से भागे-भागे फिर रहे हैं। इसलिए वे चाहकर भी घोसी की जनता से जी भरकर कहीं संवाद नहीं कर पाए। जबकि सत्तारूढ़ दल के निवर्तमान सांसद हरिनारायण राजभर पांच साल सांसद भी रहे और क्षेत्र में भी रहे, बावजूद इसके प्रचंड मोदी लहर में जनता ने इन्हें नकार दिया तो क्यों। वजह साफ है कि महागठबंधन के उम्मीदवार अतुल सिंह ने लोकसभा चुनाव मैदान से दूर जाकर भी सपा-बसपा के संगठन को इस ढंग से मैनेज किया कि लगभग हर बूथ पर वे जीतते रहे। वहीं, भाजपा में संगठन कहीं और तथा प्रत्याशी कहीं और नजर आता रहा। सैकड़ों ऐसे गांव थे जहां न तो भाजपा का प्रत्याशी गया और न ही संगठन के वे चेहरे जिनको देखकर भाजपा के होने का एहसास होता है। यही वजह है कि हर आम और खास महागठबंधन प्रत्याशी के चुनावी मैनेजमेंट की दाद दे रहा है।

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भारतीय जनता पार्टी संगठन में लंबे अर्से से संघर्ष कर रहे पार्टी के कार्यकर्ता कहीं दबी जुबान से तो कहीं खुले तौर पर महागठबंधन प्रत्याशी के बेहतरीन मैनेजमेंट को स्वीकार कर रहे हैं। 19 मई को जब मतदान चल रहा था तो बूथों पर उत्साह में भाजपा प्रत्याशी का बस्ता लेकर बैठने वाले युवा एक-दो बजे तक अधिकांश बूथों से संगठन के मिस मैनेजमेंट के चलते भागने लगे थे। प्रत्याशी और संगठन के बीच तालमेल की कमी भी खलती रही। प्रत्याशी और संगठन पिछले चुनाव की तरह इस फिराक में थे कि जनता आपस में चुनाव लड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर उन्हें जिता दे और वे चंदन लगाकर संगठन के शीर्ष नेताओं के सामने 56 इंच का सीना करके पांच वर्ष गणेश परिक्रमा करते रहें। सत्तारूढ़ दल की सांगठनिक कमजोरी और प्रत्याशी की क्षेत्र के साथ ही अपने लोगों की उपेक्षा अंतत: चुनाव हारने की बड़ी वजह बन गई। उधर, महागठबंधन प्रत्याशी अतुल राय ने तमाम आरोपों में घिरे होने और कम समय मिलने के बावजूद अपने बेहतर मैनेजमेंट और सांगठनिक दक्षता से कड़ा मुकाबला कर अंतत: जीत का ताज अपने नाम कर लिया।

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