Move to Jagran APP

मुक्तिधाम पर सरयू बनाती जा रही खाईं

जागरण संवाददाता दोहरीघाट (मऊ) सरयू नदी किनारे स्थित मुक्तिधाम गौरीशंकर घाट पर नदी

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 04:26 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 04:26 PM (IST)
मुक्तिधाम पर सरयू बनाती जा रही खाईं
मुक्तिधाम पर सरयू बनाती जा रही खाईं

जागरण संवाददाता, दोहरीघाट (मऊ) : सरयू नदी किनारे स्थित मुक्तिधाम, गौरीशंकर घाट पर नदी की बैकरोलिग से भारत माता मंदिर से लेकर डोमराज के मकान तक नदी खाईं के रूप में तब्दील होती जा रही है। कटान रोकने के लिए लगाए गए पीचिग बोल्डर धीरे-धीरे खिसकते हुए नदी की धारा में विलीन होते जा रहे हैं। इससे मुक्तिधाम समेत बचे ऐतिहासिक धरोहरों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। इससे मुक्तिधाम संस्थान समेत नगरवासी चितित हो गए हैं तथा सभी ने नदी की धारा मोड़ने की मांग की है।

loksabha election banner

संस्थान के अध्यक्ष डा. बीके श्रीवास्तव ने कहा कि सिचाई विभाग कटान रोकने के लिए तमाम उपाय कर रहा है लेकिन सरयू नदी की पूरी धारा मुक्तिधाम के पास आकर टकराने से नदी की बैकरोलिग शुरू हो जाती है। इससे नदी नीचे मिट्टी खोदती हुई काफी गहराई कर देती है जिससे जो भी बोल्डर कटान के मुहाने पर लगाए जाते हैं वह नदी की धारा में बह जाते है। इससे सिचाई विभाग का पूरा प्लान ही फेल हो जाता है। अब तक एक दशक में मुक्तिधाम को काफी नुकसान हुआ। शवदाह शेड व शवदाह के लिए बनाई गई सीढि़या, स्नान घाट सभी नदी की धारा में कट गए। इससे मुक्तिधाम संस्थान को काफी नुकसान हुआ है। वहीं फोरलेन पुल बनने से मुक्तिधाम पर भयावह स्थिति हो गई है। जब तक नदी की धारा मोड़ी नहीं जाएगी तब तक कटान से निजात मिलना मुश्किल है। समाजसेवी उमेश कुमार गुप्त ने कहा कि आज से 30 वर्ष पहले कटान से निजात दिलाने के लिए मिलिट्री को लगाया गया था तथा योजना बनी थी कि ब्लास्ट कर नदी की धारा को मोड़ा जाएगा लेकिन नदी की धारा मोड़ने को लेकर गोरखपुर जनपद के प्रतिनिधि राजनीति करने लगे। इससे सेना वापस चली गई, आज उसका परिणाम इतना भयावह हो गया है कि श्मशान घाट से लेकर रामजानकी घाट पर सरयू नदी नीचे से काट रही है। जो नगर के लिए खतरा पैदा करती जा रही है। सिचाई विभाग के सारे कटान रोकने के प्रयास विफल साबित हो रहा है। पूर्व चेयरमैन व संस्थान के संस्थापक गुलाबचंद गुप्त ने बताया कि मुक्तिधाम व नगर को बचाने के लिए एक मात्र विकल्प नदी की धारा मोड़ना ही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.