एसआइटी को गूगल सीट में भेजी गई 20 बिदुओं की रिपोर्ट
जागरण संवाददाता मऊ कोविड-19 के दौरान प्रदेश के प्रत्येक जनपद में पल्स आक्सीमीटर व इंफ्रार
जागरण संवाददाता, मऊ : कोविड-19 के दौरान प्रदेश के प्रत्येक जनपद में पल्स आक्सीमीटर व इंफ्रारेड थर्मामीटर की खरीदारी हुई। प्रत्येक ग्राम पंचायत में हुई खरीदारी को लेकर कई जनपद की जांच की जद में हैं। गाजीपुर, सुल्तानपुर सहित कई जिलों में शासन के निर्धारित मानक के विपरीत ऊंचे दामों पर बचाव उपकरण खरीदे गए। गाजीपुर सहित कई जनपदों का मामला उजागर होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एसआइटी यानि 'स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम' को जांच सौंपी है। एसआइटी ने जनपद में हुए खरीद संबंधी दस्तावेज तलब किए हैं। इसमें गूगल सीट पर 20 बिदुओं की रिपोर्ट मांगी गई है। जनपद में लगभग 650 ग्राम पंचायतों की रिपोर्ट गूगल सीट पर अपलोड कर दी गई है। इसमें खास यह है कि प्रत्येक ब्लाकों में अलग-अलग फर्मों से अलग-अलग कंपनियों के उपकरण तो खरीदे गए परंतु एक ही दाम पर। प्रत्येक ग्राम पंचायतों में पल्स आक्सीमीटर व इंफ्रारेड थर्मामीटर की 2800 रुपये में धड़ल्ले से खरीद की गई।
विश्वव्यापी कोविड-19 आपदा से बचाव को लेकर शासन ने प्रत्येक ग्राम पंचायतों में ग्राम निधि से पल्स आक्सीमीटर व इंफ्रारेड थर्मामीटर की खरीदारी के निर्देश दिए गए थे। ताकि ग्रामीणों की तेजी से जांच कराकर संदिग्ध लोगों का ससमय इलाज कर फैलते प्रकोप को रोका जा सके। इस दौरान आपदा को अवसर में बदलते हुए उपकरण खरीद में जमकर खेल हुआ। करीब दो माह पूर्व ही पूरे जनपद में उपकरणों की खरीद हुई। इसमें शासन के जेम पोर्टल के बदले प्राइवेट फर्मों से धड़ाधड़ खरीदारी की गई। हकीकत यह है कि आधा दर्जन फर्मों से अलग-अलग कंपनियों के उपकरण तो खरीदे गए परंतु सभी के दाम एक ही हैं। अब जब शासन के निर्देश पर एसआइटी ने गूगल सीट पर 20 बिदुओं की रिपोर्ट मांगी तो खलबली मच गई। आनन-फानन रिपोर्ट बनाकर भेजी गई है। जिला प्रशासन द्वारा एसआइटी को भेजे रिपोर्ट को लेकर अब सबकी निगाहें एक ही दाम में हुई खरीद के मामले पर जांच एजेंसी की तरफ टिकी हुई है। इनसेट--
खाते में धन फिर उधारी पर खरीद
वित्तीय वर्ष 2020-21 की ग्राम निधि में तीन माह ही प्रदेश सरकार ने धनराशि भेज दी थी। कोविड-19 महामारी को देखते हुए योगी सरकार का मुख्य उद्देश्य था आमजन की देखभाल। इसके मद्देनजर सभी जनपदों को निर्देश जारी किए गए कि ग्राम पंचायतों में पल्स आक्सीमीटर व थर्मल स्कैनर की खरीद कर जांच शुरू कर दी जाए। शासन का आदेश मिलते ही प्राइवेट फर्मों से उधारी में उपकरणों की खरीदारी हुई। खरीदारी के दो माह बीतने के बाद भी आज तक जनपद की आधे से अधिक ग्राम पंचायतों ने फर्मों को भुगतान नहीं किया है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि खाते में धनराशि होने के बावजूद भुगतान क्यों नहीं किया गया। प्वाइंटर--
उपकरणों के नाम व दाम--
1175 - पल्स आक्सीमीटर
1625 - इंफ्रारेड थर्मामीटर