तीन वर्ष में न हो सकी 10 किमी लंबी सड़क की मरम्मत
विकास की प्रथम अनिवार्य शर्त बेहतर परिवहन व्यवस्था की राह में गड्ढों से पटी जिले की कई सड़क रोड़ा बनी हैं। इनमें जनपद के सर्वाधिक प्राचीन नदवासराय बाजार से होकर गुजरने वाली ओडीआर घोसी-मुहम्मदाबाद-आजमगढ़ प्रमुख है।
जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : विकास की प्रथम अनिवार्य शर्त बेहतर परिवहन व्यवस्था की राह में गड्ढों से पटी जिले की कई सड़क रोड़ा बनी हैं। इनमें जनपद के सर्वाधिक प्राचीन नदवासराय बाजार से होकर गुजरने वाली ओडीआर घोसी-मुहम्मदाबाद-आजमगढ़ प्रमुख है।
अन्य जनपद सड़क (ओडीआर) में शुमार 10 किमी लंबा घोसी-नदवासराय मार्ग कहने को चिरैयाकोट-मोहम्मदाबाद-नदवासराय-घोसी-मधुबन मार्ग का हिस्सा है। सपा सरकार ने कार्यकाल के अंतिम वर्ष 2016 में इसके चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण के लिए 87 करोड़ से अधिक की राशि स्वीकृत किया। इस लंबे प्रोजेक्ट पर कार्य प्रारंभ ही हुआ था कि मार्च 2017 में सरकार बदल गई। सत्ता बदलने के बाद भी टुकड़ों में मरम्मत एवं सुदृढ़ीकरण होता रहा, पर आज तक यह कार्य मुकम्मल न हो सका है। हाल यह कि सरायगंगा पबी से लेकर नदवासराय एवं भिखारीपुर से लेकर घोसी तक सड़क दिनोंदिन गड्ढों में तब्दील होती जा रही है। तनिक सी बारिश हो जाए तो नदवासराय बाजार में कई जलाशय बन जाते हैं। सड़क की हालत पर एक आम सवाल यह हो गया है कि आखिर इस सड़क का कब जीर्णोद्धार होगा। घोसी-नदवासराय-मोहम्मदाबाद मार्ग का वजूद परतंत्र भारत से है। वर्ष 1962 में सड़क पर कंकड़-पत्थर डाले गए। वर्ष 1972 में सड़क को प्रथम बार पिच किया गया। नदवासराय से जीयनपुर होते हुए एक मार्ग आजमगढ़ जाता है तो नदवासराय से आजमगढ़ जाने को दूसरा मार्ग मोहम्मदाबाद होकर है। बहरहाल गत प्रदेश सरकार ने चिरैयाकोट से मधुबन तक वाया मोहम्मदबाद एवं घोसी 52.1 किमी सड़क के चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण के लिए 87 करोड़ से अधिक की राशि फरवरी 16 में स्वीकृत किया। चिरैयाकोट से देवलास तक एवं बीच में कुछ दूर तक छोड़ कर आरीपुर-सरायगंगा पबी की सीमा तक सड़क की मरम्मत हो चुकी है। इस वर्ष नदवासराय पुलिस चौकी से लेकर भिखारीपुर तक लगभग दो किमी सड़क की मरम्मत एवं सुदृढ़ीकरण का कार्य संपन्न हुआ है। समूची राशि आवंटित न होने के चलते सरायगंगा पबी-नदवासराय एवं भिखारीपुर-घोसी के बीच सड़क जस की तस है। बात करें नदवासराय क्षेत्र से घोसी के बीच सड़क की बदहाली की तो नदवसराय के पश्चिमी छोर से लेकर पूर्वी छोर तक बेशुमार गड्ढे ही नहीं, वरन समूची सड़क ही गड्ढों में तब्दील हो गई है। ऐसे में मानसून के दिनों में सड़क झील बन जाती है तो अन्य दिनों में धूल उड़ती है। विडंबना यह कि इस सड़क से जिले के एक कैबिनेट मंत्री भी गुजरते हैं तो यह सड़क बिहार के राज्यपाल पद पर आसीन पूर्व मंत्री फागू चौहान के क्षेत्र की प्रमुख सड़क है। प्रतिदिन हजारों लोगों का होता है आवागमन
नदवासराय बाजार में दो बार साप्ताहिक हाट लगती है। समीपवर्ती दर्जनों गांवों के नागरिकों का आवागमन होता है। यहां पर चार डिग्री एवं छह इंटर कालेज हैं। कान्वेंट स्कूलों की संख्या अनगिनत है। इन शिक्षण संस्थाओं में अध्ययनरत विद्यार्थी प्रतिदिन स्कूल वाहन या स्वयं के या सवारी वाहन से आते हैं। इससे इतर यहां पर कई बैंक एवं गैस एजेंसी है। मधुबन एवं घोसी क्षेत्र के नागरिकों के लिए मोहम्मदाबाद एवं आजमगढ़ जाने के लिए यह सबसे सुगम मार्ग है। इसके चलते प्रतिदिन निजी एवं सवारी वाहन ही नहीं वरन स्कूल वाहनों एवं मालवाहकों की संख्या सैकड़ों में है। बावजूद इसके सड़क की उपेक्षा अब शासन, प्रशासन एवं लोक निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करती है।