सावन में कल-कल करने को तरस रही कालिदी
पहाड़ों पर कम बारिश के कारण धीरे-धीरे ही बढ़ रहा जलस्तर ओखला हिडन और हथिनी कुंड के बढ़े पानी का असर मंगलवार तक दिखेगा
मथुरा, जासं। सावन बीत रहा है और भादों आने वाला है, लेकिन यमुना कल-कल करने को तरस रही है। मानसून के बादल ब्रजवासियों पर तो मेहरबान हैं ही नहीं, हरियाणा, पंजाब और पहाड़ों पर भी मेघ मल्हार नहीं सुनाई पड़ रही है। सो यमुना का जलस्तर अभी इतना नहीं बढ़ा है कि नालों की गंदगी को बहा ले जाए और जल आचमन लायक हो सके।
कई साल के बाद ऐसा हो रहा है, जब यमुना के जलस्तर में वृद्धि शनै:शनै हो पा रही है। सात साल पहले अगस्त के अंतिम दिनों में जाकर यमुना का जलस्तर उठा था, अन्यथा हर साल अगस्त के मध्य तक यमुना पानी से लबालब होती रही है।
इधर, सावन के शुरू होने के साथ ही गुजराती और अप्रवासी भारतीय श्रद्धालुओं का मथुरा में जमावड़ा शुरू हो चुका है। घाट किनारे चुनरी मनोरथ एवं अन्य आयोजन होने लगे हैं, लेकिन पानी में व्याप्त गंदगी उन्हें आचमन से भी मना कर रही है। मथुरा की यमुना में हरियाणा, पंजाब और पहाड़ों पर बारिश होने के कारण ही पानी आता है।
इस बार इस बेल्ट में अभी तक बारिश बहुत कम हुई है। इस वजह से ओखला, हिडन और हथिनी कुंड से पानी का डिस्चार्ज कम बना हुआ है। यमुना में चार हजार क्यूसिक से भी कम पानी चल रहा है। शनिवार को जरूर दिल्ली के ओखला बैराज से 13600 क्यूसिक पानी छोड़ा गया, जो रविवार तक यहां आकर लगेगा। हिडन नदी से 650 क्यूसिक पानी छोड़ा गया है, जिसकी आमद सोमवार तक हो पाएगी, जबकि हथिनी कुंड से 6400 क्यूसिक पानी का डिस्चार्ज किया गया है, जो मंगलवार तक यहां आकर अपना प्रभाव दिखा पाएगा। सामान्य जलस्तर के कारण गोकुल बैराज पर 63.20 मीटर जलस्तर बना हुआ है।
यमुना कार्ययोजना के याची गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी का कहना है कि इस समय यमुना को नए पानी की सख्त आवश्यकता है, जिससे गंदगी आगे जाए और श्रद्धालुओं को कुछ राहत मिले। मथुरा में वैष्णव यात्रियों का आगमन शुरू हो चुका है।