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कार्तिक पूर्णिमा पर भक्ति में डूबी धार्मिक नगरी वृंदावन

सप्तदेवालयों में रासेश्वर के रूप में ठाकुरजी ने दिए दर्शन मनाई देव दीपावली

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 06:35 AM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 06:35 AM (IST)
कार्तिक पूर्णिमा पर भक्ति में डूबी धार्मिक नगरी वृंदावन
कार्तिक पूर्णिमा पर भक्ति में डूबी धार्मिक नगरी वृंदावन

संवाद सहयोगी, वृंदावन: कार्तिक पूर्णिमा पर सोमवार को श्रीकृष्ण की क्रीड़ा भूमि राधारानी के जयकारों से गुंजायमान हो उठी। यमुना किनारे स्नान व पूजन कर श्रद्धालुओं ने पंचकोसीय परिक्रमा लगाई। मंदिरों में हो रहे धार्मिक आयोजनों में शामिल होकर शाम को दीपदान किया।

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कार्तिक माह की पूर्णिमा को शास्त्रों में देव दीपावली माना गया है। देवोत्थान एकादशी को देव जागने के बाद इस दिन देवता दीपावली मनाते हैं। जिसका उल्लास मंदिरों की नगरी वृंदावन में देखने को मिलता है। भोर की पहली किरण के साथ भक्तों की भारी भीड़ परिक्रमा के लिए निकल पड़ी। सुबह से ही परिक्रमा मार्ग राधारानी के जयकारों से गूंज उठा। श्रद्धालुओं ने यमुना में स्नान कर भगवान विष्णु का पूजन किया। दान-पुण्य कर मनोरथ पूर्ण करने के लिए ठाकुरजी की आराधना भी की। सप्तदेवालयों में शामिल ठा. राधादामोदर, ठा. गोपीनाथ ने रास रासेश्वर के रूप में दर्शन दिए तो भक्तों का हुजूम मंदिर में उमड़ पड़ा। - ठा. बांकेबिहारीजी के दर्शन को उमड़ी भीड़

कार्तिक पूर्णिमा पर ठा. बांकेबिहारी मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। मंदिर के पट खुलने से पहले ही हजारों श्रद्धालुओं का हुजूम मंदिर के आसपास जमा हो गया। जैसे ही मंदिर के पट खुले श्रद्धालुओं के आने का क्रम टूट नहीं रहा था। हालांकि हर साल की अपेक्षा इस बार श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट नजर आई। - इस्कान में किया दीपदान

कार्तिक पूर्णिमा पर इस्कान मंदिर में नियम सेवा करने वाले विदेशी श्रद्धालुओं ने शाम को दीपदान किया। मंदिर परिसर दीपों की जगमग रोशनी से दमकने लगा। हरे राम हरे कृष्ण की धुन पर इस्कान भक्तों को नाचते देख श्रद्धालुओं भी उनके साथ नृत्य करने पर मजबूर हो गए। कोविड-19 के चलते विदेशी भक्त इस बार मंदिर नहीं पहुंच सके थे। -सप्तदेवालयों में हुए उत्सव-

कार्तिक पूर्णिमा पर प्राचीन सप्तदेवालयों मदनमोहन, राधादामोदर, राधारमण, राधाश्यामसुंदर, राधागोपीनाथ, गोविद देव, गोकुलानंद मंदिर में विशेष उत्सव मनाय गया। ठाकुरजी को छप्पनभोग अर्पित कर अनेक सांस्कृतिक आयोजन हुए।


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