सुर, लय और ताल के संगम में डूबे रहे श्रोता
ठा. राधा सनेह बिहारी मंदिर में स्वामी हरिदास संगीत सम्मेलन में गूंजे शास्त्रीय संगीत के सुर
वृंदावन, जासं। आहे नील शैल:. के स्वरों पर जब ओडीसी नृत्यांगना निदनी चौधरी ने भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का भावपूर्ण मंचन किया तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। स्वामी हरिदास के आविर्भाव पर संगीत समारोह में सुर, लय और ताल के संगम में संगीत प्रेमी डूबे नजर आए।
ठा. राधा सनेह बिहारी मंदिर में अभा स्वामी हरिदास संगीत सम्मेलन एवं स्वामी हरिदास संगीत कला रत्न सम्मान समारोह में सोमवार की शाम संगीत प्रेमी शास्त्रीय स्वरों में डूबे नजर आए। महोत्सव के दूसरे दिन का उद्घाटन जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी रामेश्वराचार्य ने स्वामी हरिदास के चित्रपट पर पुष्पार्चन व दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कहा, संगीत ही जीवन का सच्चा आधार है। स्वामी हरिदास ने इस संगीत साधना से ही ठा. बांके बिहारी का प्राकट्य किया। वे ध्रुपद के पुरोधा व प्रथम गुरु थे। समारोह की पहली प्रस्तुति नृत्यांगना नंदिनी चौधरी के ओडिसी नृत्य आहे नील शैल:., राधा रानी संगे नाचे मुरली पानी. ओडिसी नृत्य अभिनय किया। अजय प्रसन्ना ने अपनी बांसुरी का जादू बिखेरा तो श्रोता झूमने को मजबूर हो गए। विभिन्न रागों एवं आयामों से बजायी बांसुरी ने वंशीवट पर महारास का अनुभव करवा दिया। बांसुरी वादन के दिग्गज नीरज सक्सैना ने भी मधुर वंशी की साथ में प्रस्तुति दी। इनकी संगत तबले पर प्रियांश व ढोलक पर मास्टर तनमय ने दी। कथक नृत्यांगना शैफाली गोयल ने गणेश स्तुति के अपनी साधना शुरू की। शास्त्रीय गायिका विधि शर्मा अपने स्वरों से संगीत प्रेमियों को मुग्ध कर दिया। इससे पूर्व संस्थान अध्यक्ष अतुल कृष्ण गोस्वामी एवं संयोजक बिहारीलाल वशिष्ठ ने अतिथियों को सम्मानित किया। कलाकारों को सम्मानित भी किया। स्वामी महेशानंद सरस्वती, स्वामी फतेकृष्ण, महंत परमेश्वरवदास, महंत अमर दास, भक्ति वेदांत मधुसूदन महाराज, राम किशन गोस्वामी, ब्रज बिहारी शर्मा, रामबाबू शर्मा, विष्णु मोहन नागार्च, प्रेम कुमार गोस्वामी, बालो पंडित, तमाल कृष्ण दास, भीकचंद्र गोस्वामी, प्रदीप गोस्वामी, महेंद्र सिंह शर्मा, हरी किशन सारस्वत, मयंक शर्मा, अरविद गोस्वामी आदि मौजूद रहे।