चौरासी कोस में बढ़ रहा 'अतिथि देवो भव' का भाव
संवाद सूत्र सुरीर बृज चौरासी कोस परिक्रमा में अतिथि देवो भव का भाव लोगों के दिलों में समुं
संवाद सूत्र, सुरीर: बृज चौरासी कोस परिक्रमा में 'अतिथि देवो भव' का भाव लोगों के दिलों में समुंदर की तरह उमड़ रहा है, जिसे देख सूरज की तपन व उमस भरी गर्मी में कान्हा के प्रेम में सराबोर परिक्रमार्थियों में ऊर्जा का संचार हो रहा है।
करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्र बृज मंडल में इन दिनों चौरासी कोस की परिक्रमा को श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है। कोई मीठा जल पिला रहा है तो कोई बुला-बुला कर खाना खिला रहा है। किसी ने ठहराने तो किसी ने नहाने को इंतजाम कर रखा है। बृज चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग पर श्रद्धालुओं की कतार टूटने का नाम नहीं ले रही है। हर रोज हजारों परिक्रमार्थी सुरीर से होकर निकल रहे हैं। परिक्रमा दे रहे श्रद्धालुओं का रैला देखते ही बनता है। परिक्रमा मार्ग पर पड़ने वाले गांवों के लोग श्रद्धालुओं की सेवा कर अपने को धन्य समझ रहे हैं। अधिक मास में अभी पूरा एक पखवाड़ा बचा है। जिसमें परिक्रमा के लिए हर रोज परिक्रमार्थियों की भीड़ बढ़ रही है। ग्रामीण सुबह से देर शाम तक परिक्रमार्थियों की सेवा में जुटे हुए हैं। तिपहिया साइकिल से नाप रहे चौरासी कोस
सुरीर: हिम्मत बुलंद है अपनी, पत्थर-सी जान रखते हैं, कदमों तले जमीं तो क्या, हम आसमान रखते हैं। यह पंक्तियां अलीगढ़ के गांव बेसवां निवासी राकेश पर सटीक बैठती हैं। इसे हिम्मत और आस्था ही कहेंगे कि पैरों से लाचार होने के बावजूद वह तिपहिया साइकिल से चौरासी कोस की परिक्रमा अपने बूते ही कर रहे हैं। उनके इस जज्बे को देखकर हर कोई हैरानी में पड़ जाता है। मंगलवार को सुरीर होकर निकल रहे राकेश ने बताया कि चौरासी कोस की परिक्रमा के लिए मन में उमंग उठ रही थी। जिससे वह अपनी तिपहिया साइकिल लेकर परिक्रमा को निकल पड़े।