मथुरा का बालक बता रहा राज पिछले जनम का...तो पूर्व जन्म में मुख्तार सिंह था मनीष
पुनर्जन्म को विज्ञान माने या न माने लेकिन इससे जुड़ी घटनाएं सोचने को विवश जरूर कर देती हैं। मथुरा के पारसौली में पुनर्जन्म की दास्तान सुनकर लोग दंग हैं।
मथुरा (जेएनएन)। पुनर्जन्म को विज्ञान माने या न माने लेकिन इससे जुड़ी घटनाएं सोचने को विवश जरूर कर देती हैं। रविवार को मथुरा के गांव पारसौली में आकर एक बालक ने पुनर्जन्म की दास्तान सुना लोगों को दंग कर दिया। बालक को लेकर तरह तरह की चर्चाएं हो रहीं हैं। राजस्थान में डीग के गांव बरई (बंधा) निवासी दस वर्षीय बालक ने न केवल खुद को पारसौली निवासी पहलवान मुख्तार सिंह बताया बल्कि घर में घुस कर एक महिला को पूर्व जन्म में अपनी पत्नी होने का भी दावा किया।
पहलवान मुख्तार सिंह चौधरी
मथुरा के गांव पारसौली निवासी मुख्तार सिंह चौधरी को अच्छे पहलवानों में गिना जाता था। 16 जुलाई 2008 को हृदय गति रुकने से उनकी मृत्यु हो गई थी। राजस्थान में डीग के गांव बरई (बंधा) निवासी बहादुर सिंह गुर्जर के घर इसी दिन एक बच्चे का जन्म हुआ, जिसका नाम उन्होंने मनीष रखा जो अब दस वर्ष का हो चुका है। मनीष परिजनों के साथ रविवार को गांव पारसौली में चौधरी मुख्तार सिंह पहलवान के घर पहुंच गया। खुद को मुख्तार सिंह बताते हुए वहां पुरानी बातें बताने लगा। उसकी बातें सुन एक बार तो परिजन भी चकरा गए।बालक के साथ आए पिता बहादुर सिंह ने बताया कि मनीष पांच साल की उम्र से ही गांव पारसौली चलने की जिद करता था और खुद को पहलवान मुख्तार सिंह चौधरी बताता था।
कई पुरानी बातें बताईं जो सच थीं
पहलवान मुख्तार सिंह के बेटे सुरेश चौधरी ने बताया कि उन्हें जब पता चला कि कोई बच्चा पूर्व जन्म में उनका पिता होने का दावा कर रहा है तो उन्होंने बच्चे को गांव आने का न्योता दिया। गांव में आकर मनीष ने खुद घर पर सीधे चले आने के अलावा कई पुरानी बातें भी बताईं, जो सच थीं। जाते समय पिता की तरह सम्मान देकर बालक को विदा किया गया। फिलहाल किसी चिकित्सक से इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकी है।
भारतीय शास्त्रों के अनुसार होता है पुनर्जन्म
भारतीय परंपरागत विज्ञान में पुनर्जन्म को स्थापित किया गया है लेकिन आज की विज्ञान इसे नकार रही है। हालांकि मनोविज्ञान ने किसी हद तक इस दिशा में शोधों के जरिए पुनर्जन्म को स्थापित करने का प्रयास किया है। हिंदू धर्म की पवित्र पुस्तक गीता भी पुनर्जन्म का समर्थन करती है। ज्योतिषी उमेश शास्त्री शास्त्री के अनुसार जब कोई जातक पैदा होता है तो वह अपनी भुक्त और भोग्य दशाओं के साथ पिछले जन्म के कुछ संकेत-सूत्र लेकर आता है। ऐसा कोई जातक नहीं होता है जो अपनी भुक्त दशा और भोग्य दशा के शून्य में पैदा हुआ हो । पुनर्जन्म के बारे में दर्शनशास्त्र कहता है कि पिछले जन्म के अच्छे कर्म इस जन्म में सुख दे रहे हैं या पिछले जन्म के पाप इस जन्म में उदय हो रहे हैं। इस जन्म में हम जो अच्छा या बुरा कर रहे हैं, उसका फल अगले जन्म में भोगना पड़ सकता है। इस जन्म में किए अच्छे या बुरे कर्म अगले जन्म तक हमारा पीछा करते रहते हैं।