मुश्किल की मार, टोंटी उद्योग की बिगड़ी धार
एकछत्र राज में चुनौती बन गए कई शहर, इंडस्ट्री में आ गई 30-40 फीसद तक की गिरावट
गगन राव पाटिल, मथुरा: टोंटी उद्योग पर एकछत्र राज करने वाले मथुरा को अब कई मोर्चो पर जूझना पड़ रहा है। अन्य शहरों से तगड़ी प्रतिस्पर्धा तो हो ही रही है, बढ़ते प्रदूषण के रोकथाम पर हो रही सख्ती, रॉ मैटेरियल के दामों में तेजी जैसी परेशानी शामिल हैं। इंडस्ट्री में 30-40 फीसद की गिरावट आ चुकी है।
दुनिया भर में मथुरा की टैप इंडस्ट्री का परचम फहरता है। मगर, पिछले कुछ समय से ये उद्योग विभिन्न समस्याओं से घिर गया है। उद्यमी विजय धमीजा बताते हैं कि बढ़ती प्रतिस्पर्धा से डिमांड और सप्लाई में फर्क आया है। पिछले पांच सालों में सूरत, राजकोट, जामनगर, दिल्ली और भिवानी, जालंधर में यूनिट्स खुल गई हैं। सूरत से तो काफी चुनौती मिल रही है। वहां लोन व एनओसी में परेशानी नहीं होती है। जबकि मथुरा में एनओसी मिलना उतना आसान भी नहीं है।
उद्यमी मयंक अग्रवाल कहते हैं कि पिछले दो माह से रॉ मेटेरियल (ब्रास) के दाम में इजाफा हुआ है। ब्रास के रेट 315 से बढ़कर 342 रुपये किलो हो चुके हैं। रॉ मैटेरियल पर 18 फीसद जीएसटी अलग से है। जबकि पहले पांच फीसद वैट था। रियल एस्टेट चले तो बात बने
मंदी के कारण रियल एस्टेट में अब नए प्रोजेक्ट्स मुश्किल से ही बन रहे हैं, जिसके चलते बाथरूम फि¨टग मेटेरियल की डिमांड नहीं निकल पा रही है। बडे़ फाइनेंस में दिक्कत
नीरव मोदी प्रकरण के बाद बड़े फाइनेंस मिलने में सख्ती बरती जा रही है। उद्यमी देवेंद्र चौधरी बताते हैं, ऐसा भी नहीं कह सकते कि बडे़ लोन मिलने बिलकुल बंद हो गए हैं, हां ये जरूर है कि प्रकरण के बाद अब पहले जैसी बात नहीं रही।
-छोटी बड़ी मिलाकर 50-60 यूनिट्स
-छोटे-बडे़ 200 ट्रेडर्स
-सालाना टर्नओवर औसतन एक हजार करोड़
-रॉ मेटेरियल के दामों में इजाफा
-अन्य शहरों से मिल रही प्रतिस्पर्धा
-जल प्रदूषण के कारण बढ़ी सख्ती।