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राममंदिर में स्वामी वामदेव की स्थापित हो प्रतिमा

अयोध्या में बनने वाले भगवान श्रीराम के मंदिर में राममंदिर आंदोलन के अगुवा वीतराम संत स्वामी वामदेव की प्रतिमा स्थापित हो अथवा उनका स्मारक बने। इसके अलावा मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाए जा रहे ट्रस्ट में वृंदावन के दो संतों अथवा धर्माचायों का प्रतिनिधित्व भी तय होना चाहिए। परिक्रमा मार्ग स्थित अखंड दया धाम में रविवार को धर्म रक्षा संघ की धर्मसभा में मौजूद संतों ने एकमता से आठ प्रस्तावों पर मुहर लगाई। संतों ने केंद्र सरकार से मांग की कि राममंदिर आंदोलन में जिस तरह से स्वामी वामदेव ने अपनी भूमिका अदा की। उसके लिए उनका स्मारक अथवा प्रतिमा अवश्य लगनी चाहिए। उन्होंने बड़े आंदोलनों को धार दी। इसके अलावा मंदिर में एक स्तंभ स्थापित हो। जिस पर मंदिर आंदोलन के दौरान जेलयत्रा अथवा बलिदान देने वाले शहीदों के नाम अंकित हों। ये स्तंभ स्वर्ण अथवा रजत निर्मित होना चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 11:10 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 06:10 AM (IST)
राममंदिर में स्वामी वामदेव की स्थापित हो प्रतिमा
राममंदिर में स्वामी वामदेव की स्थापित हो प्रतिमा

वृंदावन: अयोध्या में बनने वाले भगवान श्रीराम के मंदिर में राममंदिर आंदोलन की अगुवाई करने वाले संत स्वामी वामदेव की प्रतिमा स्थापित हो या फिर उनका स्मारक बनाया जाए। इसके अलावा मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार जो ट्रस्ट बना रही है, उसमें वृंदावन के दो संतों अथवा धर्माचार्यों का प्रतिनिधित्व भी होना चाहिए। परिक्रमा मार्ग स्थित अखंड दया धाम में रविवार को धर्म रक्षा संघ की धर्मसभा में मौजूद संतों ने सहमति से आठ प्रस्ताव पारित किए। संतों ने केंद्र सरकार से मांग की कि राममंदिर आंदोलन में जिस तरह से स्वामी वामदेव ने अपनी भूमिका निभाई । उसके लिए उनका स्मारक या प्रतिमा अवश्य लगनी चाहिए। उन्होंने बड़े आंदोलनों को धार दी। इसलिए मंदिर में एक स्तंभ स्थापित हो। मंदिर आंदोलन के दौरान जेल गए और बलिदान देने वालों का भी नाम दर्ज किया जाए। ये स्तंभ स्वर्ण अथवा रजत निर्मित होना चाहिए।

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धर्मसभा में केंद्रीय राज्यमंत्री निरंजन ज्योति ने संतों की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि स्वामी आंदोलन में वामदेव की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। कहा कि पांच सौ साल तक मंदिर के लिए आंदोलन चला, लेकिन मंदिर पर आए निर्णय ने न केवल भारतवासियों बल्कि भारतीय संस्कृति को भी मजबूती प्रदान की है। धर्मसभा में स्वामी चित्प्रकाशानंद, द्वाराचार्य स्वामी बलराम देवाचार्य, स्वामी गोविदानंद तीर्थ, महंत मोहिनीबिहारी, आचार्य मृदुलकांत शास्त्री ने मंदिर निर्माण में वृंदावन के संतों की भूमिका तय करने की मांग उठाई। अध्यक्ष सौरभ गौड़ ने आठ सूत्रीय प्रस्ताव पास किए। जगद्गुरु द्वाराचार्य रामकमल दास वेदांती, स्वामी डॉ. आदित्यानंद, रामविलास चतुर्वेदी, महंत प्रह्लाद दास, महंत सुतीक्ष्णदास, श्यामसुंदर गौतम, जगदीश चौधरी, गोपेश गोस्वामी, राजकुमार शर्मा, मदनगोपाल बनर्जी, महामंडलेश्वर नवल गिरि, श्रीदास प्रजापति, राजेंद्र द्विवेदी मौजूद रहे।


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