ऊंट की खाल की जूतियों से पुश्तैनी पेशे को बढ़ा रहे शंकरलाल
यूं तो चमड़े के जूते के लिए आगरा बड़ा बाजार है लेकिन ऊंट की खाल के जूते और जूतियां तैयार करना पटियाला के शंकरलाल का खानदानी पेशा है। ऊंट की खाल से तैयार जूतों को तरह-तरह की कढ़ाई से सुंदरता देने के बाद ही इन्हें बाजार में लाते हैं। इतना ही नहीं ऊंट की खाल के अलावा वेलवेट कपड़े पर भी जूते तैयार करके फैशन के अनुसार ही उन्हें डिजाइन कर रहे हैं।
संवाद सहयोगी, वृंदावन: यूं तो चमड़े के जूते के लिए आगरा बड़ा बाजार है, लेकिन ऊंट की खाल के जूते और जूतियां तैयार करना पटियाला के शंकरलाल का खानदानी पेशा है। ऊंट की खाल से तैयार जूतों को तरह-तरह की कढ़ाई से सुंदरता देने के बाद ही इन्हें बाजार में लाते हैं। इतना ही नहीं ऊंट की खाल के अलावा वेलवेट कपड़े पर भी जूते तैयार करके फैशन के अनुसार ही उन्हें डिजाइन कर रहे हैं।
यमुना किनारे उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा आयोजित ब्रज रज उत्सव की हुनर हाट में दस्तकार, शिल्पकार अपने हुनर का प्रदर्शन कर रहे हैं। अपने पुश्तैनी काम को आगे बढ़ा रहे शंकरलाल का कहना है वे तीस साल से अपने हाथों से जूते-जूतियां तैयार कर रहे हैं। सबसे अधिक जूतियां ऊंट की खाल से बनाई जा रही हैं। इन्हें आकर्षक बनाने के लिए तरह-तरह की डिजाइन भी ईजाद करनी पड़ती है। ताकि बाजार में माल चलता रहे। हुनर हाट की स्टाल पर शंकरलाल ऊंट की खाल के जूते-जूतियां, महिलाओं-बच्चों की चप्पलें, वेलवेट के जूते, जूतियां, चप्पलों की बिक्री कर रहे हैं।
उन्होंने बताया वे पूरे देश में नुमाइश, हाट में अब तक अपने उत्पाद बेचते रहे हैं। डिमांड भी काफी रहती है। पहली बार हुनर हाट में उन्हें मौका मिला है और यहां बिक्री में भी इजाफा देख रहे हैं। उत्साहित हैं, नया बाजार मिलेगा। दुनियाभर के लोग हुनर हाट में आते हैं, तो उनके उत्पाद भी घर-घर पहुंच रहे हैं।
देश ही नहीं विदेश में भी लगाई स्टाल
पटियाला में खुद अपने हाथ से तैयार किए गए ऊंट की खाल के जूते-जूतियां, महिलाओं, बच्चों की चप्पलें, कोल्हापुरम चप्पल की स्टाल उन्होंने देश के विभिन्न भागों में लगाने का अनुभव है। साथ ही दुबई, सऊदी अरब में भी अपने उत्पाद की स्टाल लगा चुके शंकर लाल का कहना है कि विदेश में उनके उत्पादों की भी अधिक मांग है।