प्रोजेक्टर पर समझा छात्रों ने जल का महत्व
जागरण संवाददाता, मथुरा: जीएलए विश्वविद्यालय के कांफ्रेंस हॉल में आयोजित जल संरक्षण सेमिनार में अलग-अ
जागरण संवाददाता, मथुरा: जीएलए विश्वविद्यालय के कांफ्रेंस हॉल में आयोजित जल संरक्षण सेमिनार में अलग-अलग समूह बनाकर विद्यार्थियों ने जल संरक्षण का महत्व, आवश्यकता, पानी की बर्बादी रोकने, दूषित जल के दुष्परिणाम पर प्रस्तुतीकरण दिया। इसके लिए छह समूह बनाए गए थे।
दैनिक जागरण की ओर से जल संरक्षण को लेकर शुरू की गई जल जागरण मुहिम में सोमवार को जीएलए विश्वविद्यालय भी जुड़ गया। सर्वप्रथम हार्वे¨स्टग ग्रुप के विशाल गौतम, यामिनी ¨सह व साहिल जैन ने प्रोजेक्टर पर समझाया कि जल संचयन न होने के कारण जलस्तर लगातार गिर रहा है। वर्षा जल संचय पर उन्होंने सभी का ध्यान आकृष्ट करते हुए इसके संचय करने के उपाय बताए। वाटरनॉमी ग्रुप में शामिल चंचल शर्मा, आकाश व ट्विंकल ने विश्व बैंक की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि भारत जैसे जल संकट वाले देश में 2050 तक जीडीपी में छह फीसदी तक की हानि हो सकती है। ऐसी विषम परिस्थितियों में अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए पानी प्रबंधन के नए तरीके तलाशने होंगे।
जल ग्रुप के प्रणय ने बताया कि एक तालाब 10 कुओं के बराबर, एक जलाशय 10 तालाब के बराबर, एक पुत्र 10 जलाशय के बराबर और एक पेड़ 10 पुत्रों के बराबर है। कहा कि पानी कीमती है इसे व्यर्थ न बहाएं। ड्रिप इरिगेशन ग्रुप के दिव्यांश शर्मा, मृत्युजंय व चिराग ने कहा कि 76 मिलियन लोग स्वच्छ पानी नहीं पीते। पहले वर्षा का जल रिस-रिसकर जंगलों के माध्यम से धरती में चला जाता था, लेकिन वर्तमान में इमारतों व इंड्रस्टीज के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है। ड्यूटेरियम ग्रुप के शुभम उपाध्याय, कुनाल ¨सह व हिमांशू गौड़ ने कहा कि हम हजारों लीटर पानी की बर्बादी व्यर्थ में कर देते हैं। इसे बचाकर आने वाले समय में लाखों लोगों का जीवन सुरक्षित किया जा सकता है। जीएलए वाटर मैनेजमेंट ग्रुप के शिशिर ने वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की जानकारी दी। बताया कि यह किस प्रकार से गंदे पानी को फिल्टर कर उपयोगी बनाता है। जल संरक्षण की शुरूआत स्वयं से करनी होगी। कई देशों में जल की कमी से आज भी जूझ रहे हैं। इसके लिए अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है।
- प्रो.सुधीर गोयल, एचओडी, सिविल विभाग - कृषि का विकास पूरी तरह से जल प्रबंधन पर निर्भर है। प्रत्येक दैनिक कार्यों में जल की आवश्यकता होती है। दूषित पानी के सेवन से विभिन्न बीमारियां जन्म लेतीं हैं, इससे बचना जरूरी है।
चंचल शर्मा, छात्रा - जन जागरूकता के माध्यम से ही जल का दोहन रोका जा सकता है। आवश्यकतानुसार ही पानी का प्रयोग किया जाए तो यह वर्तमान व भविष्य दोनों के लिए अच्छा रहेगा।
ट्विंकल शर्मा, छात्रा - पेड़ों का कटान रोकने के साथ-साथ नलों से होने वाली जल की बर्बादी को रोकना होगा। जल प्रकृति का दिया हुआ अनमोल तोहफा है, इसे व्यर्थ में न बहाएं।
आकाश कुमार शर्मा, छात्र