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महापंचायत के बहाने 2022 के चुनाव पर साधा निशाना

जागरण संवाददाता मथुरा रालोद ने सोमवार को किसानों की महापंचायत की तो कार्यकर्ता भी अपने

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2020 05:02 AM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 05:08 AM (IST)
महापंचायत के बहाने 2022 के चुनाव पर साधा निशाना
महापंचायत के बहाने 2022 के चुनाव पर साधा निशाना

जागरण संवाददाता, मथुरा : रालोद ने सोमवार को किसानों की महापंचायत की, तो कार्यकर्ता भी अपने नेता के लिए खूब गरजे। महापंचायत के बहाने रालोद ने अपनी सियासी जमीन और मजबूत की। विधानसभा चुनाव के लिए न केवल किसान और कार्यकर्ताओं से समर्थन मांगी बल्कि ये भी दिखाने की कोशिश की कि सरकार के खिलाफ कई दल एकजुट हैं।

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मथुरा में आयोजित किसान बचाओ-लोकतंत्र बचाओ महापंचायत में शिरोमणि अकाली दल और इंडियन नेशनल लोकदल के नेताओं ने 40 वर्ष पहले कांग्रेस के खिलाफ किए गए पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, मुलायम सिंह यादव, हरियाणा के देवीलाल के संघर्ष को किसानों को याद दिला सीधे जुड़ने की कोशिश की। पंचायत स्थल पर सुबह ही भीड़ जुटने लगी थी। रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी करीब दो बजे मंच पर पहुंचे, उसके बाद सपा नेता धर्मेंद्र यादव, इंडियन नेशनल लोकदल के अभय चौटाला और शिरोमणि अकाली दल के नेता जगमीत बरार भी पहुंच गए। सपा, इनेलो और शिरोमणि अकाली दल के नेताओं ने किसानों के हक की लड़ाई लड़ने से बात शुरू की और फिर जयंत चौधरी पर हाथरस में हुए लाठीचार्ज पर खत्म की। साफ कहा कि जयंत चौधरी के अपमान का बदला लेना है। सपा के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव ने न केवल सूबे की योगी सरकार पर निशाना साधा, बल्कि पूर्व की अखिलेश सरकार की उपलब्धियां भी गिनाईं। उन्होंने सपा और रालोद का गठबंधन ये कहकर आगे तक चलने का संकेत दिया कि ये गठबंधन सरकार को उखाड़ फेंकेगा। उन्होंने किसानों के हाथ उठवाकर 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए समर्थन भी मांगा।

इससे पहले हरियाणा के इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने वर्ष 2014 में पानीपत में पीएम मोदी द्वारा दिए गए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और बेटी बढ़ाओ के नारे से अपने संबोधन की शुरुआत की। कहा कि उप्र में बहन-बेटी सुरक्षित नहीं हैं। गरीबों की मदद करने के लिए प्रदेश सरकार को आगे आना चाहिए, जब जयंत चौधरी हाथरस में गरीब परिवार को सांत्वना देने पहुंचे तो उन पर लाठीचार्ज करा दिया। यह लाठी जयंत पर नहीं किसानों पर बरसाई गई हैं। 40 वर्ष पहले जब कांग्रेस ने मनमानी की थी। उस दौरान चौधरी चरण सिंह ने आंदोलन की शुरुआत की थी, ये चौधरी चरण सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद रुका था। अब वही समय एक बार फिर आ गया है। इस बार जयंत चौधरी के हाथों को मजबूत करना है।

अकाली दल के पूर्व सांसद जगमीत बरार ने भाजपा सरकार को कारपोरेट घराने की सरकार बताया। उन्होंने कहा कि हाथरस में जयंत पर नहीं बल्कि किसानों पर लाठीचार्ज हुआ है। अब किसानों की पगड़ी, देश की इज्जत का सवाल है। जिस तरह से पंजाब में किसान, मुस्लिम, दुकानदार, दलित एक मंच पर आ गए हैं, भाजपा कुर्सी की जंग लड़ रही है और हम भारतीयता की जंग लड़ रहे हैं।

इससे पहले एमएलसी संजय लाठर, त्रिलोकी त्यागी, स्नातक एमएलसी के उम्मीदवार असीम यादव, पूर्व मंत्री तेजपाल सिंह, राष्ट्रीय प्रवक्ता सुनील रोहटा और इंद्रजीत सिंह टीटू ने भी सभा को संबोधित किया। पश्चिमी उप्र के महासचिव राजेंद्र सिंह सिकरवार, प्रदीप चौधरी, अनूप चौधरी, रविद्र नरवार, चेतन मलिक, गौरव मलिक, ताराचंद गोस्वामी, योगेश नौहवार, हरवीर सिंह, रामवीर भरंगर, राजपाल भरंगर, ठा. अतुल सिसौदिया, ठा. यदुवीर सिसौदिया, सुरेश भगत, रोहित प्रताप, विवेद देशवार, ओमप्रकाश चौधरी, राकेश भरंगर, उदयभान जाटव, विकास कुंतल,सपा जिलाध्यक्ष लोकमणिकांत जादौन आदि मौजूद रहे। संचालन जिलाध्यक्ष रामरसपाल पौनियां ने किया। - पंचायत में इन्हें बनाया पंच, होगा आंदोलन-

बालाजीपुरम में हुई पंचायत में फरह के ठा. बंगाली सिंह परखम, कारब के शंकरलाल गौतम, नौहझील से योगेंद्र सिंह, शहर से यशपाल बघेल, नारायण सिंह को पंच बनाया गया। जिन्होंने पंचायत में निर्णय लिया कि जब तक गांधी विचार धारा से आंदोलन करने वालों पर लाठीचार्ज करने वालों के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा। जब तक प्रदेश सरकार को उखाड़ नहीं देते। तब तक किसान अब शांत नहीं रहेगा। जब जिलाध्यक्ष को नीचे उतार दिया-

रालोद की महापंचायत में मंच से लेकर कार्यकर्ताओं तक अव्यवस्था हावी रही। बार-बार मंच पर लोग चढ़ जा रहे थे। इस पर रालोद के जिलाध्यक्ष रामरसपाल पौनियां आक्रोशित हो गए। उन्होंने दूसरी पार्टी के एक जिलाध्यक्ष को मंच से नीचे उतार दिया। ये जिलाध्यक्ष अपनी पार्टी के नेता के पास खड़े थे। रामरसपाल पौनियां आक्रोशित हो गए और उन जिलाध्यक्ष का नाम लेकर कहा कि आप मंच से नीचे उतरें। ये मंच नेताओं के लिए है, सुरक्षागार्डों के लिए नहीं। ऐसे में दूसरी पार्टी के जिलाध्यक्ष मायूस होकर मंच से नीचे उतर गए। टूट गए कोविड-19 के नियम

कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ में कोविड-19 के नियमों की जमकर अनदेखी की गई। यहां पर शारीरिक दूरी के पालन की धज्जियां उड़ गईं। लोग एक-दूसरे से सटकर बैठे रहे, वहीं अधिकांश ने चेहरे पर मास्क नहीं लगाया था। यहां तक कि नेताओं को चेहरा दिखाने की होड़ में जमकर धक्का मुक्की भी हुई। छावनी बन गया पूरा जिला

महापंचायत को लेकर पुलिस पूरी तरह मुस्तैद रही। जिले की सीमा पर हर वाहन की चेकिग की गई। जबकि हर चौराहे पर भारी पुलिस बल तैनात था। कार्यक्रम स्थल पर भी पुलिस और पीएसी बड़ी संख्या में तैनात रही।


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