ठा. राधारमणलाल के सेवा सौभाग्य में गूंज रहे अष्टछाप की पदावली
कार्तिक के महीने में ठाकुरजी की भोगराग श्रृंगार सेवा साधना का विलक्षण पल सेवायतों को मिलता है वह अद्भुत है
संवाद सहयोगी, वृंदावन: सालभर में कार्तिक का महीना ही ऐसा पवित्र और विलक्षण है, जबकि ब्रज में नियम सेवा, साधना के साथ आनंद की अनुभूति होती है। कार्तिक के महीने में संकीर्तन की वही धुन आज भी गूंजती है, जो गूंज चैतन्य महाप्रभु के वृंदावन आगमन पर चहुंओर सुनाई दे रही थी। वातावरण मानो पूरी तरह चैतन्यमय नजर आता है। ऐसे मौके पर ठा. राधारमणलाल जू की सेवा केवल एक ठाकुर सेवा ही नहीं, मंदिर सेवायतों के लिए ये सेवा सौभाग्य है। कार्तिक के महीने में ठाकुरजी की भोगराग, श्रृंगार सेवा साधना का विलक्षण पल सेवायतों को मिलता है, वह अद्भुत है।
सप्तदेवालयों में प्रमुख ठा. राधारमणलालजू मंदिर में शनिवार को शुरू हुए सेवा सौभाग्य महोत्सव में वैष्णवाचार्य अभिषेक गोस्वामी ने अपनी सेवा के दौरान ये बात कही। गोस्वामी ने कहा सेवा सौभाग्य में ठाकुरजी को लाड़ लड़ाने के साथ भोगराग और श्रृंगारयुक्त सेवा कर रहे हैं। भोग जो ठाकुरजी के बाद वैष्णव प्रसादी के रूप में पाते हैं, श्रृंगार जो ठाकुरजी का श्रृंगार खुद गोस्वामीजन करते हैं और राग सेवा में साधक मंदिर में गूंज रहा है। जिसमें अष्टछाप की पदावली, गुरुअंजलि के पदों का गायन सुबह से शाम तक अष्टयाम सेवा हो रही है।
गोस्वामी ने कहा आज के दर्शन में मंदिर के जगमोहन में वही झांकी नजर आ रही है, जैसे मानों भक्त वृंदावन आ रहे हैं और बीच में ठा. राधारमणलाल जू विराजमान हैं, नीचे आजकल के वैष्णव मंदिर में आकर जो दर्शन कर रहे हैं, उसी का चित्रण किया गया है। इसी प्रकार के श्रृंगार, रस और राग के माध्यम से ठाकुरजी के दर्शन को जीवंत कर रहे हैं।