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लाड़िली के जन्म उल्लास में डूब गया ब्रज

बरसाना की गलियों में जमकर दिखी उत्सव की छाप, कृष्ण और राधा के स्वरूपों के नृत्य से सड़कों पर लगा जाम

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 11:58 PM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 11:58 PM (IST)
लाड़िली के जन्म उल्लास में डूब गया ब्रज
लाड़िली के जन्म उल्लास में डूब गया ब्रज

जासं, बरसाना (मथुरा): ब्रज को लेकर बैजू बावरा का एक पद है- ज्ञानी, गुमानी, धनी जाओ रे यहां से, यहां तो राज है बावरे ठाकुर कौ।। सोमवार को लाड़िली के जन्म उत्सव पर भक्ति का ये बावरापन सड़कों पर साफ दिखा। रात भर की जगार से सूजी आंखें और थके पैर जब सड़कों पर थिरके तो जाम लग गया। राधा के जन्म के साथ ही बरसाना इस कदर मस्ती में डूबा कि हर गली लाली के जयकारों से गूंज उठी। सखी रूप में सजे स्वरूपों के सड़कों पर नृत्य से जाम लग गया।

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रविवार रात घड़ी ने ज्यों ही एक बजे का इशारा किया, लाड़िली महल में मूल शांति को पूजा शुरू हो गई। चार बजते ही शंखनाद से जन्मोत्सव शुरू हो गया। 170 लीटर दूध, 80 किलो दही, 20 किलो शहद,10 किलो घी और 30 ग्राम केशर सहित तमाम सामिग्री एकत्रित कर महाभिषेक किया गया। पंचामृत महाभिषेक लगभग डेढ घंटे तक चला।

अभिषेक के बाद छह बजे पीतवस्त्र पहना कर राधारानी की मंगला आरती की गई। इसके बाद साढ़े आठ बजे श्रृंगार आरती में राधारानी को गुलाबी वस्त्र धारण कराए गए। इसके बाद समाज गायन का सिलसिला दिन भर चलता रहा। राधाजन्म की सूचना के साथ ही कृष्ण और राधा के स्वरूप धरे लोग गलियों में उमड़ पड़े। भक्ति गीत-संगीत की धुन पर नृत्य का सिलसिला शुरू हुआ तो सड़कें जाम हो गईं। कस्बे के गोपाल जी मंदिर, रस मंदिर, मान मंदिर, रंगीली महल, दानगढ़, कुशल बिहारी मंदिर, अष्टसखी मंदिर, श्याम श्याम मंदिर, महीभान मंदिर, बृषभान मंदिर, राम मंदिर सहित आदि में भी राधारानी का जन्मोत्सव मनाया गया। राधारानी की ननिहाल रावल में भी जन्मोत्सव धूमधाम से मना। रावल वालों की मान्यता है कि उनका जन्म ननिहाल में ही हुआ। यहां साढ़े पांच बजे का‌िर्ष्ण गुरु शरणानंद महाराज ने पंचामृत अभिषेक कराया।

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कुछ इस तरह चला जन्मोत्सव का क्रम

1 बजे- सेवायतों ने मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश किया।

4 बजे -सुबह चार बजे तक राधारानी की मूल शांति के लिए पाठ।

5 बजे-सुबह चार से साढ़े पांच बजे तक पंचामृत अभिषेक।

6 बजे -सुबह छह से सात बजे तक मंगला आरती के दर्शन हुए।

7 बजे-सुबह सात बजे फिर पट बंद हुए।

आठ बजे-सुबह साढ़े आठ से दोपहर ढाई बजे श्रृंगार आरती दर्शन हुए।

2:30-दोपहर में मंदिर के पट फिर बंद हुए।

5 बजे-शाम को राधारानी का डोला सफेद छतरी पर लाया गया

7 बजे-सात बजे गोस्वामी समाज की कन्याओं ने राधारानी का आरता किया।

9 तक- राधारानी ने रात नौ बजे तक दर्शन दिए।


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