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बंदरों के साथ साड़ों के आतंक से परेशान हैं स्थानीय लोग

शहर में बंदरों का आतंक तो अपनी जगह है ही पर शहर की कॉलोनी और मुहल्लों में आवारा साड़ों का भी आतंक भी कम नहीं है। आए दिन लोग चुटैल होते रहते हें और लोगों की जान बन आती है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 11:39 PM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 11:39 PM (IST)
बंदरों के साथ साड़ों के आतंक से परेशान हैं स्थानीय लोग
बंदरों के साथ साड़ों के आतंक से परेशान हैं स्थानीय लोग

मथुरा: शहर में बंदरों का आतंक तो अपनी जगह है ही पर शहर की कॉलोनी और मुहल्लों में साड़ों का भी आतंक कम नहीं है। आए दिन लोग चुटैल होते रहते हें और लोगों की जान बन आती है। इससे मुक्ति मिलनी चाहिए। हमारा सांसद ऐसा होना चाहिए जो जिले और शहर की स्थानीय समस्याओं को बेहतर ढंग से समझता हो और किसी भी आदमी को मिलने के लिए किसी मध्यस्थ का सहारा न लेना पड़े। स्थानीय समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उनके निराकरण की उम्मीदों को पूरा करने वाले प्रत्याशी को वोट दिया जाएगा। यह विचार रामनगर में आयोजित जागरण की चुनावी चौपाल में स्थानीय लोगों ने बेबाकी के साथ अपने विचार व्यक्त किए।

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गुरुवार को चौपाल में चर्चा करते हुए कहा कि चुनावों में कृष्णानगर बाजार में एक भी सार्वजनिक शौचालय तक नहीं है। घरों में सप्लाई का जो पानी आ रहा है वह इतना दूषित है कि नहाने का मन नहीं करता। शहर भारी अतिक्रमण के कारण जाम की समस्या नासूर बन चुकी है। खारे पानी से मुक्ति मिलनी चाहिए। पिछले चुनावों में किए गए वादे पूरे नहीं हुए हैं। निजी स्कूलों द्वारा की जा रही लूट पर भी अंकुश लगना चाहिए। इन्हीं सब समस्याओं को ध्यान में रखकर चुनाव में वोट दिया जाएगा। चर्चा में शामिल लोगों में कुमरपाल शर्मा, दिनेश सारस्वत, टीकेंद्र शाद, राधा, उत्तरा सिंह, नगेश, अरुण, प्रियंका, शिखा, सोनी, देवेंद्र, पंकज मिश्रा, गीता शर्मा आदि थे।

- जनता को अब मुद्दों के नाम पर गुमराह नहीं किया जा सकता। स्थानीय समस्याएं ही हमारा सबसे बड़ा चुनावी एजेंडा हैं, इसी के आधार पर वोट दिया जाएगा।

- टीकेंद्र शाद।

- कृषि हमारी अर्थ व्यवस्था का बुनियादी आधार है, खेती-किसानी को मजबूत करने पर ही सब कुछ मजबूत होगा। कर्मठ प्रत्याशी को ही वोट दिया जाएगा।

- दिनेश सारस्वत।

- कृष्णानगर बाजार में सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था तक नहीं है, बाजार आने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

- नगेश।

- खारे पानी के अलावा बंदर और साड़ों का कॉलोनियों में भारी आतंक है और इनके कारण लोग आए दिन चुटैल होते रहते हैं। इससे मुक्ति मिलनी चाहिए।

- गीता शर्मा।


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