सांकरी खोर में बंधी जग के पालनहार की चोटी
बरसाना: बूढ़ी लीला महोत्सव में गुरुवार को दुनिया के बंधन खोलने वाले श्रीकृष्ण गोपियों के प्रेम को देखते हुए खुद उनके बंधन में बंधे। प्राचीन ग्रंथ रासलीलानुकरण की परंपरा में भाद्रपद सुदी एकादशी के दिन सांकरी खोर पर चोटी बंधन लीला की गई। बृषभानु नंदिनी के निज विहार क्षेत्र में बिना आज्ञा प्रवेश करने पर गोपियों ने उनकी चोटी पेड़ से बांध गुलचाओं से मार लगाई। लीला मंचन देखकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए।
संवाद सूत्र, बरसाना: बूढ़ी लीला महोत्सव में गुरुवार को सांकरी खोर में चोटी बंधन लीला खेली गई। कलाकारों ने कृष्ण काल में भाद्रपद सुदी एकादशी के दिन खेली गई इस लीला का फिर से मंचन किया। बृषभानु नंदिनी के निज विहार क्षेत्र में बिना आज्ञा प्रवेश करने पर गोपियों ने कृष्ण की चोटी पेड़ से बांध गुलचाओं से मार लगाई।
लीला में कृष्ण ने श्रीपति भट्ट के पद को गाकर उन्हें मनाने का प्रयास किया। कहा श्रीपति कान्हा भये बसि भामिनि, मान भरी नहीं बोलत वाम है, चूक अचूक ही माफ करो, मैं तो भानु लली की गली कौ गुलाम हूं।
लीला में हरीश श्रोत्रिय ने राधा-कृष्ण की वंशावली सुनाई। इससे पहले कस्बे के मेन बाजार स्थित कुंज में माखन चोर लीला, नागाजी कुटी में रासलीला, राधारानी मंदिर में मयूर लीला, स्वामीजी पर नृत्य लीला व दानगढ़ पर दान लीला की गई। इस मौके पर हजारों श्रद्धालु इन स्थलों पर मौजूद रहे।
ब्याहुला व नौका विहार लीला आज-
बरसाना: बूढ़ी लीला महोत्सव में शुक्रवार को ऊंचागांव के दाऊजी मंदिर में गोद भराई, श्याम सगाई तथा श्रील नारायण भट्ट के समाधि स्थल पर लगन पत्रिका के साथ सखीगिरि पर्वत पर ब्याहुला लीला होगी। शाम को प्रियाकुंड पर नौका विहार में राधा-कृष्ण के स्वरूप व विग्रह नाव में बैठकर जल विहार करेंगे।