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ख्वाब रह गई बेटे को डॉक्टर बनाने की तमन्ना

फोटो-11, 12, 13, 14 जागरण संवाददाता, मथुरा: उप्र पंडित दीनदयाल उपाध्याय वेटेरिनरी विवि की ओर से

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Jun 2018 11:45 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jun 2018 11:45 PM (IST)
ख्वाब रह गई बेटे को डॉक्टर बनाने की तमन्ना
ख्वाब रह गई बेटे को डॉक्टर बनाने की तमन्ना

फोटो-11, 12, 13, 14

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जागरण संवाददाता, मथुरा: उप्र पंडित दीनदयाल उपाध्याय वेटेरिनरी विवि की ओर से घोषित पीवीटी 2018 के मुख्य परीक्षा परिणाम में गड़बड़ी के कारण जिन छात्रों का पहली लिस्ट में नाम था और दूसरी में गायब हो गया। वे हताश और निराश हैं। कोई कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है तो कोई पुन: कॉपियां चेक करवाकर रिजल्ट घोषित किए जाने की मांग पर अड़ा है।

परीक्षा नियंत्रक डॉ. दयाशंकर का तर्क है कि ¨लक गलत अपलोड हो गई थी। बताया कि पहली लिस्ट में क्वालीफाई और नॉन क्वालीफाई दोनों छात्र-छात्राओं के नंबर आ गए थे, जबकि दूसरी लिस्ट में केवल क्वालीफाई छात्रों की ही सूची जारी की गई है। जब सवाल किया गया कि जिस छात्र की 198 रैंक पहली लिस्ट में है और दूसरी में नाम गायब है तो अफसर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए।

दोबारा जांची जाएं कापियां:

दामोदरपुरा निवासी चेतन यादव ने बताया कि उसका रोल नंबर 162012 था। रविवार शाम छह बजे जारी सूची में उसकी 198 रैंक थी, जो दूसरी सूची तक थी, लेकिन सोमवार दोपहर 12 बजे अपलोड की गई तीसरी सूची में उनका रोल नंबर गायब कर दिया गया। कोटा में तीन साल तक को¨चग कर चुके चेतन को पिछली बार मौका इसलिए नहीं मिल पाया कि एम्स का एग्जाम भी एक ही तिथि पर था। इस बार उन्हें उम्मीद थी और परीक्षा परिणाम देखकर वह उत्साहित भी हो गए। जब सोमवार दोपहर विवि पहुंचकर अफसरों से प्रवेश के बावत संपर्क साधा, तब पता चला कि उनका रोल नंबर तो सूची से ही गायब है। उन्होंने बताया कि वह अपनी कापियों की पुन: जांच करवाकर रिजल्ट जारी करने की मांग वीसी से करेंगे।

कर्मचारी का बेटा कैसे बने डाक्टर:

वेटेरिनरी विवि में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर कार्यरत रामेश्वर यादव पहली सूची में बेटे का नाम आने के बाद से उत्साहित थे। आखिर हों भी क्यों न, चार बेटे-बेटियों में बड़ा बेटा डाक्टर जो बनने वाला था। तीसरी सूची में जब बेटे का नाम गायब दिखा तो उनकी आंखों से अश्रुधारा बह निकली। बोले-बड़ी मेहनत कर बेटे-बेटियों को पढ़ा-लिखाकर काबिल बनाया, उम्मीद थी कि डाक्टर बन जाएगा तो अच्छे दिन आएंगे। आरोप लगाया कि यहां के डॉक्टर और अफसर नहीं चाहते कि एक चपरासी का बेटा डाक्टर बने, इसलिए उनके बेटे का नाम तीसरी सूची में गायब कर दिया गया। वह इस बाबत कोर्ट जाने की तैयारी भी कर रहे हैं।


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