कब खुलेगा घोटाले का 'राजदार' कमरा
जागरण संवाददाता, मथुरा: शिक्षक भर्ती घोटाले का राज गुरुवार को भी ताले में ही कैद रहा। पुलिस प्रशासन
जागरण संवाददाता, मथुरा: शिक्षक भर्ती घोटाले का राज गुरुवार को भी ताले में ही कैद रहा। पुलिस प्रशासन के अधिकारियों में समन्वय न होने के कारण इस कमरे का ताला नहीं खोला जा सका। इसके चलते एसटीएफ के एसपी आलोक प्रियदर्शी को काफी देर इंतजार करके लौटना पड़ा।
घोटाले में पूर्व बीएसए संजीव कुमार ¨सह ने पटल सहायक महेश शर्मा को जिला चयन समिति के निर्देश पर निलंबित कर दिया। इसके बाद कार्यालय स्थित उनके कक्ष में ताला डाल दिया गया। चार जून को एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने बीएसए कार्यालय पहुंच कर पटल बाबू के बंद कार्यालय का निरीक्षण किया और तालों के ऊपर नोटिस चस्पा कर दिया। इसमें लिखा गया कि मुकदमा विवेचक की उपस्थिति के बिना ताला नहीं खोला जाना चाहिए। इसमें फर्जी शिक्षकों के नियुक्ति पत्र व अन्य दस्तावेज से जुड़े कागजात बताए जा रहे हैं। गुरुवार को इस कमरे को खोला जाना था। इसी संबंध में प्रशासनिक अधिकारियों और विवेचक को आना था। एसटीएफ के एसपी आलोक प्रियदर्शी तय समय से पहुंच गए लेकिन मामले के विवेचक मौके पर नहीं पहुंच सके। काफी देर इंतजार करने के बाद उन्हें लौट जाना पड़ा। इस मामले में विवेचक एसपी देहात आदित्य कुमार शुक्ला ने बताया कि उनकी प्राथमिकता में पहले ट्रिपल मर्डर का पर्दाफाश करना है। वह इसके लिए गांव में डेरा डाले हुए हैं। इसके बाद ही बंद कमरा खोला जाएगा। --नहीं रहता सुरक्षाकर्मी---
बंद कमरे का ताला खुले तो उसमें से कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकती हैं। इसमें कई नियुक्ति संबंधी दस्तावेज कैद हैं। मौजूदा माहौल को देखते हुए रात में कमरे की सुरक्षा के लिए कोई सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं रहता है। हालांकि बीएसए चंद्रशेखर ने बताया कि तीन दिन पूर्व कमरे की सुरक्षा के लिए पुलिस तैनाती की मांग की गई थी, लेकिन अभी तक कोई कर्मी नहीं मिल सका है।