होंगे राजा तेरे, मेरौ तौ लाला कन्हैया है
वैष्णव श्रीकृष्ण के बालस्वरूप और बल्लभ संप्रदाय के साधक राजाधिराज के रूप में कर रहे साधना
विपिन पाराशर,वृंदावन(मथुरा): सोलह कलाओं से परिपूर्ण भगवान श्रीकृष्ण के रूप अनेक हैं। ब्रज के बंसी बजैया ने कुरुक्षेत्र में सुदर्शन चक्र धारण कर गीता का उपदेश दे दुनिया को जीवन दर्शन समझाया। अपने ब्रज में वह सबके लाला कन्हैया हैं तो द्वारका में उन्हें राजा के रूप में पूजा जाता है।
कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक में हर कोई अपने आराध्य के साथ है। बालस्वरूप से लेकर राजा के स्वरूप तक की पूजा से श्रद्धालु आल्हादित हैं। ब्रजवासी और वैष्णव साधक भगवान श्रीकृष्ण के बालस्वरूप की साधना में मगन हैं। बल्लभ संप्रदाय के आचार्य भगवान श्रीकृष्ण की साधना महाराजा के रूप में कर रहे हैं। कालिदी किनारे जहां भगवान श्रीकृष्ण ने कभी ग्वाल-बालों संग गोचारण लीला की, आज उसी पवित्र भूमि पर वैष्णव साधकों की बैठक चल रही है। 11 साल बाद होने वाली कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक में देश के कोने-कोने से आ रहे भक्तों में सैकड़ों ऐसे भी हैं, जो अपने लाडले लड्डू गोपाल को अपने से दूर नहीं करना चाहते। वह गोद में लड्डू गोपाल को लेकर संतों के दर्शन करा रहे हैं।
स्थानीय गोवर्धन चौराहा की देविका शर्मा रविवार को यमुना स्नान को पहुंचीं तो अपने ठाकुर जी को भी साथ लेकर आई। बोलीं, हम मेला में आए हैं, तो अपने लाला को कैसे घर पर छोड़ देते। आज तो लाला ने भी यमुना स्नान किया, संतों के दर्शन किए। लखनऊ से निर्मला शुक्ला और बांदा से तेजस्वी यादव भी परिवार के साथ पहुंचे, पालना में लड्डू गोपाल भी साथ हैं। बोले, हम अपने लाला को लाए हैं, वह भी मेले का आनंद लेंगे। --ठाकुर जी के कई रूप हैं। ब्रज में उन्हें लड्डू गोपाल के रूप के लोग पूजते हैं, तो बाहर उनका राजाधिराज का रूप भी है। कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक में ठाकुर जी के कई रूप देखने को मिल रहे हैं।
शशिकांत भंडारी, साधक, बल्लभ संप्रदाय।