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कागज के टुकड़ों ने विदेश पहुंचाई उमा की 'ख्याति'

धौली प्याऊ निवासी उमा शर्मा ने बिना रंग व ब्रुश के बनाई सैकड़ों पे¨टग्स

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 11:37 PM (IST)Updated: Sat, 21 Jul 2018 11:37 PM (IST)
कागज के टुकड़ों ने विदेश पहुंचाई उमा की 'ख्याति'
कागज के टुकड़ों ने विदेश पहुंचाई उमा की 'ख्याति'

योगेश जादौन, मथुरा : कागज पर बनी किसी कलाकृति को तोड़कर उसे नए रूप में प्रस्तुत करने की कला अब विदेशी धरती पर भी अपनी धाक जमा चुकी है। धौली प्याऊ निवासी उमा शर्मा ने बिना रंग और ब्रुश का प्रयोग किए कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों को जोड़कर 17 फुट की ऐसी कोलाज पें¨टग बनाई है जो अब इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुकी है। इतना ही नहीं उनकी इन पें¨टग्स की डिमांड विदेशों में भी देखी जा रही है।

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कागज के रंगीन टुकड़ों को जोड़कर पें¨टग्स बनाने वाली उमा शर्मा इस कार्य में पीएचडी के अलावा पांच विषयों में एमए कर चुकी हैं। 30 अक्टूबर 1950 को जन्मी उमा बताती हैं कि उन्हें पें¨टग्स करने का शौक तो बचपन से ही था लेकिन वर्ष 1996 में अखबारों और पत्रिकाओं में छपने वाले विज्ञापनों के रंगों से प्रभावित होकर कुछ अलग करने की सोच मन में पैदा हुई। इसकी शुरूआत कागज के छोटे- छोटे टुकड़ों से गणेश जी की पें¨टग्स बनाकर की गई। अब तक करीब एक सैकड़ा से अधिक पें¨टग्स बना चुकी उमा शर्मा ने बताया कि प्रतिदिन दो से तीन घंटे तक एक साल की मेहनत के बाद वर्ष 2009 में 17 फुट की ब्रजधाम नामक शीर्षक की पें¨टग्स को पूरा किया। इसमें करीब 11 हजार कागज के टुकड़ों का प्रयोग किया गया। इसी पें¨टग्स को सबसे बड़ी पेपर के टुकड़ों से बनाई गई कोलाज पें¨टग्स के रूप में जनवरी 2018 में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी शामिल कर लिया गया है। वर्तमान में ये पें¨टग्स वृंदावन के होटल क्रिधा रेजीडेंसी की शोभा बढ़ा रही है। उनकी इस कला से अभिभूत होकर उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ व राज्यपाल राम नाइक द्वारा लखनऊ में यूपी दिवस पर विशिष्ट शिल्प राज्य पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। बताया कि गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकॉर्ड के लिए भी उनका नाम भेजा जा चुका है। विदेशियों को भा रही उमा की पें¨टग्स---

उमा शर्मा द्वारा बनाई गई भगवान श्रीकृष्ण की ऐसी ही पें¨टग्स संयुक्त राज्य अमेरिका के एक व्यक्ति द्वारा करीब पांच हजार डॉलर में खरीदी गई है जबकि भगवान गणेश की कोलाज पें¨टग्स को तीन हजार डॉलर में यूके की गायत्री ब्राउन ने खरीदा है। इसके अलावा मैक्सिको, बेल्जियम, इंग्लैंड आदि देशों में भी उनकी पें¨टग्स लोगों को आकर्षित कर रही हैं। समय-समय पर जहांगीर आर्ट मुंबई, दिल्ली, भारत भवन, भोपाल के अलावा शिमला, अजमेर, जयपुर, बैंगलोर, उदयपुर आदि शहरों में लगाई गई प्रदर्शनियों के आधार पर अब तक उनकी करीब 15 पें¨टग्स की बिक्री हो चुकी है। ये पुरस्कार भी हुए हैं प्राप्त--पें¨टग्स की कला से प्रभावित होकर उन्हें लखनऊ में यूपी रत्न, पंजाब संस्कृति विभाग द्वारा महिला दिवस पर 11 हजार रुपए का नकद पुरस्कार, राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा कला मेले में भी पुरस्कृत किया जा चुका है। बता दें कि उमा शर्मा धौली प्याऊ स्थित शांति देवी ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य के पद को भी सुशोभित कर चुकीं हैं। फिलहाल वे अपनी ही इस कला सीखने के इच्छुक बच्चों को निश्शुल्क प्रशिक्षण प्रदान कर रहीं हैं। वे कागजों के इन टुकड़ों से पीएम नरेंद्र मोदी, रतन टाटा, गुरु शरणानंद आदि की छवियों को भी उकेर चुकी हैं।


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