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अष्ट सखियों के साथ अष्टदल कमल सी सुशोभित हैं 'राधारानी'

राधाकृष्ण की लीलाओं की कल्पना अष्टसखी के बिन अधूरी हैं

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 06:25 AM (IST)Updated: Tue, 14 Sep 2021 06:25 AM (IST)
अष्ट सखियों के साथ अष्टदल कमल सी सुशोभित हैं 'राधारानी'

संवाद सूत्र, बरसाना (मथुरा) : राधारानी का जन्मोत्सव अष्टसाखियों के बिना अधूरा ही माना जाएगा। किशोरीजी के गांव बरसाना की संरचना अष्टदल कमल सी बताई गई है। इसके केंद्र में पर्वत पर बने लाड़ली महल में ब्रज की महारानी राधारानी विराजमान हैं। आठ गांव उनको घेरे हुए हैं। इनमें उनकी आठ सखियां विराजमान हैं। राधाकृष्ण की लीलाओं की कल्पना अष्टसखी के बिना अधूरी हैं। आराध्य श्रीकृष्ण की राधा आराध्य शक्ति हैं।

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बरसाना में अरावली की पर्वत श्रृंखला के ब्रह्मांचल पर्वत पर आठ सखियों के बीच राधारानी अष्टदल कमल सी विराजमान हैं। मां कीरत और पिता वृषभानु की दुलारी का जन्म भादों के महीने की शुक्ल पक्ष अष्टमी को मूल नक्षत्र में हुआ था। अष्टसखी ललिता, विशाखा, चित्रा, इंदुलेखा, चंपकलता, रंग देवी, सुदेवी, तुंगविद्या के बिना राधारानी की कल्पना कृष्ण सी अधूरी है।

बरसाना में राधारानी का विशाल मंदिर है, जिसे लाड़ली महल के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में स्थापित राधारानी की प्रतिमा को ब्रजाचार्य श्रील नारायण भट्ट ने बरसाना स्थित ब्रहृमेश्वर गिरि नामक पर्वत में से संवत 1626 की आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को निकाला था। इस मंदिर में दर्शन के लिए 250 सीढि़यां चढ़नी पड़ती हैं। इस मंदिर का निर्माण आज से लगभग 400 वर्ष पूर्व ओरछा नरेश ने कराया था। यहां की अधिकांश पुरानी इमारतें 300 वर्ष पुरानी हैं। भगवान श्रीकृष्ण की आह्लादिनी शक्ति राधारानी के साथ आठ की संख्या एक अद्भुत संयोग यह भी है कि राधारानी अष्टदल कमल में अष्टमी को प्रकट हुईं। उनकी प्रधान सखियों की संख्या भी आठ है और उनके कान्हा का जन्म भी भादों मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ। - राधारानी की प्रधान सखी में सर्व प्रथम ललिता सखी का नाम आता है। ललिता जी ऊंचागांव में विराजमान हैं।

- विशाखा सखी कमई गांव में निवास करती हैं।

- चित्रा सखी चिकसौली गांव में रहती हैं। इन्हें पीली साड़ी पहनना अधिक प्रिय है।

- इदुंलेखा आजनौंख स्थित मंदिर में भक्तों को दर्शन दे रही हैं।

- चंपकलता करहला गांव में विराजमान हैं।

- रंगदेवी रांकोली गांव में रहती हैं।

- तुंगविधा सखी डभाला गांव में निवास करती हैं।

- सुनहरा गांव में निवास करने वाली सुदेवी राधारानी के नैनो में काजल लगाती हैं।


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