मथुरा में वैज्ञानिक तरीके से होगी तालाबों की खोदाई
निपटाऊ तरीके से नहीं किया जाएगा काम केंद्र सरकार के विशेषज्ञों की डीएम संग हुई बैठक
मथुरा, जासं। जिले में तालाबों की खोदाई को निपटाऊ तरीके से नहीं किया जाएगा। इसमें वैज्ञानिक तरीके से काम होगा। बकायदा डिजिटल मैपिग का सहारा लिया जाएगा। इसके लिए केंद्रीय सरकार की टीम ने सोमवार को डीएम संग बैठक की है। जल्द खोदाई को प्रशिक्षण शुरू हो जाएगा।
जल संचयन की दिशा में यह काम हो रहा है। जिले में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां वाटर लेवल सही है तो कुछ डार्क जोन में है। इसके लिए जल संरक्षण को नए तालाब खोदना और पुरानों को संवारना योजना में शामिल है। लगभग 1700 तालाबों की खोदाई होनी है। इसमें नए खोदे जाएंगे तथा पुरानों को सही किया जाएगा। सीडीओ रामनेवास का कहना है कि तालाब खोदाई को वैज्ञानिक तरीके से काम होगा। मसलन, इसके आसपास पौधरोपण होगा। घरों से निकलने वाला पानी बर्बाद न हो इसलिए इसका भी प्रयोग किया जाएगा। इससे रिचार्ज को केवल बरसात पर ही निर्भर न रहना पड़े। करीब 253 तालाबों की खोदाई का काम शुरू भी हो चुका है। गूगल पर 515 ग्राम पंचायतें: जागरण बीते दिनों एक खबर छाप चुका है, जिसमें करीब 515 ग्राम पंचायतों को गूगल अर्थ पर सर्च किया जा सकेगा। इसका मुख्य मकसद तालाबों की स्थिति को जानना है। सरकार जल्द इनकी मार्किंग शुरू कराने जा रही है। इस नई पहल से शहर में ग्राम पंचायतों की लोकेशन और वहां के तालाबों का हाल देखा जा सकेगा। इसका मुख्य मकसद तालाबों का संरक्षण है। ये है स्थिति: फरह, नौहझील, राया, बलदेव समेत पांच ब्लॉक डार्क जोन में आते हैं। यहां नए तालाब खोदेंगे, जबकि सुरीर, नंदगांव, कोकिलावन, गोवर्धन पैंठा का वाटर लेवल सही बताया जा रहा है। यहां ऊंचाई पर तालाब खोदे जाएंगे और पुरानों को सही किया जाएगा।
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