दीनदयाल धाम शायद ही कभी बन पाए 'सैफई'
पवन निशान्त, मथुरा कन्या डिग्री कॉलेज की स्थापना के एलान से नगला चंद्रभान के ग्रामीण एकबारगी
पवन निशान्त, मथुरा
कन्या डिग्री कॉलेज की स्थापना के एलान से नगला चंद्रभान के ग्रामीण एकबारगी तो खुशी से उछल पड़े, लेकिन जैसे ही एकाएक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपना संबोधन समाप्त किया, उनकी उम्मीदें भी धड़ाम हो गईं। उम्मीद थी कि कम से कम पंडित जी के जन्मशती वर्ष में तो दीनदयाल धाम को दूसरा सैफई बनाने की शुरूआत हो ही जाएगी, मगर यह पूरी न हो सकी।
जन्मशती मेला इस बार नि:संदेह पहले से बड़ा और समृद्ध लगा है, लेकिन भीड़ उतनी नहीं है। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में ग्रामीणों के बैठने के लिए कुर्सियों की व्यवस्था थी, लेकिन यह पंडाल उस पंडाल का एक चौथाई भी नहीं था, जब साल 2014 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां सभा करने आए थे और पं. दीनदयाल उपाध्याय के विचारों के अनुरूप सरकार चलाने का दावा किया था। उनके आने से पहले भी मेला समिति के पदाधिकारी दीनदयाल धाम के दिन बहुरने की उम्मीद कर रहे थे। उनका दावा भी था कि यहां स्किल मैनेजमेंट, फूड प्रोसे¨सग समेत अन्य बड़े केंद्र खोले जाएंगे।
स्थानीय लोग लंबे समय से फरह के तहसील बनने का इंतजार कर रहे हैं, तो गांव के विकास के लिए भी तरस रहे हैं। कम से कम आसपास की नहरों में पानी तो बना रहे, यह आस भी पूरी नहीं हो सकी है। पिछले तीन साल से केंद्र में और छह महीने से प्रदेश में पंडित जी की राजनैतिक संतानें ही सत्ता में बैठी हैं, लेकिन ग्रामीणों की मानें, तो राष्ट्र सेवा के लिए तत्पर इन नेताओं को उस विचारक पुरुष की जन्म स्थली की दुर्दशा दिखाई नहीं देती, जिसके विचारों को आगे रखकर वे सरकार चला रहे हैं।
एक ग्रामीण का कहना था कि पंडित जी यदि लोहिया की तरह ही मुलायम ¨सह के राजनैतिक आदर्श होते, तो दीनदयाल धाम कब का सैफई बन चुका था। दिल्ली-आगरा हाईवे पर स्थित होने के बावजूद दीनदयाल धाम को प्रदेश और केंद्र सरकार लक्ष्य बनाकर विकसित नहीं कर पा रही। एक ग्रामीण ने बताया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण ¨सह की सरकार में जो विकास यहां हुआ, वही अब तक चला आ रहा है। इसके बाद से तो दीनदयाल धाम प्रतिवर्ष पार्टी नेताओं और सरकारों का पिकनिक स्पॉट बनकर रह गया है। इससे यहां रहने वाला हर कोई निराश है। युवा बेरोजगार हैं और किसान भुखमरी के कगार पर है। और तो और, इस बार भी लोनिवि ने हाईवे से धाम जाने वाले मार्ग पर डामर पुतवाने में तनिक संकोच नहीं किया, जो हर बार मेला खत्म होते ही टूट जाता है।