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खिचरी जेंवत है पिय प्यारी..

राधाबल्लभ मंदिर में एक मासीय खिचड़ी महोत्सव की शुरुआतहर दिन छद्मभेष में दर्शन देंगे ठा. राधाबल्लभ लाल

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 06:45 AM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 06:45 AM (IST)
खिचरी जेंवत है पिय प्यारी..
खिचरी जेंवत है पिय प्यारी..

संस, वृंदावन: शरद ऋतु में ठा. राधाबल्लभलाल जू को मेवा युक्त खिचड़ी अर्पित कर सेवायत उन्हें शीत के प्रकोप से राहत देने की कोशिश में जुटे हैं। मंदिर में शुरू हुए खिचड़ी उत्सव पर शुक्रवार को भोर में आराध्य को पंचमेवायुक्त खिचड़ी भोग में अर्पित की गई। सेवायतों ने खिचड़ी उत्सव के पदों का गायन कर आराध्य राधाबल्लभलाल जू को रिझाया।

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एक महीने तक चलने वाले इस खिचड़ी उत्सव में ठाकुरजी हर दिन नए रूप में भक्तों को दर्शन देंगे। खिचड़ी उत्सव का दर्शन लाभ लेने के लिए देश-विदेश के श्रद्धालुओं ने वृंदावन में डेरा डाल लिया है। श्रीहित हरिवंश महाप्रभु द्वारा सेवित ठा. राधाबल्लभ लाल जू को शरद ऋतु में पंचमेवा की खिचड़ी भोग में अर्पित करने की परंपरा करीब तीन सौ साल पुरानी है। तीन सौ साल पहले राधाबल्लभीय संप्रदाय के साधक हित कमल नयन महाराज ने खिचड़ी उत्सव परंपरा की शुरुआत की। एक महीने चलने वाले उत्सव में हर दिन अलग-अलग भेष धर ठाकुरजी भक्तों को दर्शन देंगे तो सेवायत खिचड़ी उत्सव के पदों का समाज गायन करते हैं।

छद्म भेष में दर्शन देंगे राधाबल्लभलाल

खिचड़ी उत्सव में ठा. राधाबल्लभलाल जू हर दिन नए रूप में भक्तों को दर्शन देंगे। कभी मनिहारिन बनकर चूड़ी बेचते दर्शन देंगे, तो कभी खिलौने बेचते हुए। कभी सांवरिया, तो कभी इत्र बेचते तो कभी पनवाड़ी बनकर भक्तों को दर्शन देंगे। हर दिन अलग-अलग भेष में आराध्य के दर्शन करने को सैकड़ों श्रद्धालुओं ने वृंदावन में डेरा डाल लिया है।

ये शामिल होता है खिचड़ी में

ठाकुरजी को परोसे जाने वाली खिचड़ी में पंचमेवा के रूप में काजू, बादाम, अखरोट, मुनक्का और चिरौंजी डाली जाती है। खिचड़ी के साथ कुलिया, चिपिया, सौंठ, फल की चाट, सब्जी भी ठाकुरजी को सुबह परोसी जाती है।


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