महारास का आनंद उसके अधिकारी जीवों को ही संभव: गुप्तेश्वर पांडे
बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन मह
संवाद सहयोगी, वृंदावन: बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन महारास लीला का वर्णन किया। शरद पूर्णिमा की चर्चा करते हुए कहा, पांच हजार वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजभूमि को इसलिए चुना ताकि अधिकारी जीवों को अंतिम सीमा का सुख देने वाली इस लीला का आनंद दिलाया जा सके।
चैतन्य विहार स्थित पाराशर अध्यात्म ट्रस्ट में शुक्रवार को कथा में उन्होंने कहा कि संसार का कोई भी आनंद हो, उसमें क्षरण होता है, लेकिन ये आनंद अनंत मात्रा का दिव्य आनंद होता है। तुलसीदास ने इसके लिए कहा है कि ब्रह्मसुख का अनुभव अनूठा है। भक्तों ने पूछा इतना कह देने से कैसे काम चलेगा। हम भक्त भी इस आनंद को लेना चाहते हैं, तो तुलसीदास ने लिखा, इस रस को पाने के लिए खुद को रसिक बनना पड़ेगा। इसी आनंद के अभिभूत होकर भगवान भोलेनाथ को भी गोपी रूप रखने पर मजबूर होना पड़ा। लाल मखमल हिडोला में विराजमान हुए ठाकुरजी: ठाकुर द्वारकाधीश मंदिर में ठाकुरजी ने लाल मखमल हिडोला में विराजमान होकर श्रद्धालुओं को दर्शन दिए। श्रद्धालु ठाकुरजी की जय-जयकार करते रहे।
द्वारकाधीश मंदिर में सावन में घटा और हिडोला के आयोजन किए जाते हैं। शुक्रवार को लाल मखमल हिडोला का आयोजन किया गया। शाम 4.45 से 5.15 तक लाल मखमल हिडोला में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन दिए। मीडिया प्रभारी एड. राकेश तिवारी ने बताया कि शनिवार को हरे मखमल हिडोला का आयोजन होगा । सुधीर कुमार, राजीव अधिकारी, लक्ष्मण प्रसाद पाठक, राजीव चतुर्वेदी, बृजेश चतुर्वेदी, सत्यनारायण, बनवारीलाल, अमित चतुर्वेदी मौजूद रहे।