द्वारिकाधीश मंदिर में खूब गाए रसिया और उड़ा गुलाल
होरी के रसियों का गायन ढप की थाप पर हुआ
मथुरा, जासं। होली का डाढ़ा गढ़ने के बाद बुधवार को मंदिर द्वारिकाधीश में परंपरागत रसिया गायन का शुभारंभ हुआ।
ब्रज के परंपरागत होरी के रसियों का गायन ढप की थाप पर हुआ। इसका दूरस्थ स्थानों से आए श्रद्धालुओं ने सरस आनंद लिया और ठाकुरजी के दर्शन करते हुए जय-जयकार की।
ठाकुरजी की सेवा में गुलाल पधराया गया और प्रसादी के रूप में श्रद्धालुओं को गुलाल का वितरण किया गया। फाल्गुन मास के पहले दिन से रसिया गायन प्रारंभ हो जाता है। पुष्टिमार्गीय संप्रदाय में ठाकुरजी की बालस्वरूप की सेवा है। पूरे मास प्रतिदिन राज भोग के दर्शन में ठाकुरजी को विभिन्न प्रकार के ब्रज के सुप्रसिद्ध रसियाओं का गायन सुनाया जाता है। कार्यक्रम के प्रारंभ की बेला में सर्वप्रथम ढप का पूजन मंदिर के अधिकारी श्रीधर चतुर्वेदी, बनवारी लाल, कमला शंकर, भंडारी बलदेव आदि ने विधि विधान से किया। मंदिर के विधि एवं मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी एडवोकेट ने बताया कि पुष्टीमार्गीय संप्रदाय में वैसे तो होली वसंत पंचमी के दिन से ही प्रारंभ हो जाती है, लेकिन तिथि, घड़ी, पल और नक्षत्र के अनुसार उत्सवों का निर्धारण किया जाता है। रसिया मंडल के प्रमुख चुन्नीलाल, छोटू पंडा आदि उपस्थित रहे।