ईओडब्ल्यू की जांच में उच्च शिक्षण संस्थानों की फंसेगी गर्दन
537 शिक्षण संस्थानों में से 374 संदिग्ध संस्थान पर लटकी तलवारनिजी आइटीआइ में घोटाले के बाद शुरू हुई थी जांच
जागरण संवाददाता, मथुरा: पिछले करीब एक वर्ष से छात्रवृत्ति घोटाले की एक के बाद एक परत खुल रही हैं। इसके बाद शासन ने निर्णय लिया है कि छात्रवृत्ति घोटाले की जांच आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) करेगी। हालांकि उससे पहले समाज कल्याण विभाग के अपर निदेशक के आदेश पर डीएम द्वारा कराई गई जांच में 374 शिक्षण संस्थान मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। इनमें से दो सौ शिक्षण संस्थानों की छात्रवृत्ति पर भी रोक लगा दी गई है।
निजी आइटीआइ में 22 करोड़ का छात्रवृत्ति घोटाला करीब एक साल पहले पकड़ा गया था। एक-एक शिक्षण संस्थान ने एक-एक करोड़ से अधिक का घोटाला किया। इसे लेकर रिकवरी नोटिस भी जारी किया गया। 72 आइटीआइ कालेज के प्रबंधन समेत जिला समाज कल्याण अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में हैं। हालांकि दूसरे उच्च शिक्षण संस्थानों की जांच को लेकर औपचारिकता जरूर पूरी की गई। इसमें 374 शिक्षण संस्थान मानकों पर खरे नहीं उतरे। इनमें से अधिकांश शिक्षण संस्थान राजनैतिक दलों से जुड़े लोगों के हैं। अब इन सभी शिक्षण संस्थानों की जांच आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) को करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। हालांकि अभी ईओडब्ल्यू ने जांच शुरू नहीं की है। अगर ईओडब्ल्यू की ओर से जांच ठीक से की गई, तो अधिकांश शिक्षण संस्थानों पर ताला लटक जाएगा। लेकिन जांच कब से शुरू होगी। इसको लेकर भी अभी स्थिति साफ नहीं है। क्योंकि अभी तक पूर्व में जांच के जारी किए गए आदेशों की रिपोर्ट पूरी नहीं हो पाई है। संदिग्ध शिक्षण संस्थानों की लिस्ट से खुद को बाहर निकलवाने के लिए संचालकों ने फिर से जांच शुरू कराई है। हालांकि स्थिति पूर्व की तरह है। लेकिन अंतिम रिपोर्ट तैयार होना बाकी है।