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हनुमान ने लगाई लंका में आग

श्री रामलीला सभा के तत्वावधान में सीता अन्वेषण (खोज) लंका दहन की लीला का चौपाई गायन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 05:22 AM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 05:22 AM (IST)
हनुमान ने लगाई लंका में आग

संवाद सहयोगी, मथुरा : श्री रामलीला सभा के तत्वावधान में सीता अन्वेषण (खोज), लंका दहन की लीला का चौपाई गायन किया गया। इस वर्ष कोरोनाकाल के कारण लीला का मंचन नहीं किया गया है।

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बरसात समाप्त हो चुकी थी । एक माह व्यतीत हो चुका था । लक्ष्मण सुग्रीव, वानर भालुओं पर क्रोधित होते हैं। सुग्रीव अपने सेनापतियों के साथ प्रभु राम के समक्ष पहुंचे । नल, नील, जामवंत, अंगद आदि को दक्षिण दिशा की ओर सीता माता को खोजने को कहते हैं । इनकी जटायु के भाई के संपाती से भेंट होती है । संपाती अपनी दूर²ष्टि से बताता है कि लंका में अशोक वाटिका में सीताजी बैठी हुई हैं। हनुमान सीताजी की खोज में लंका पहुंचते हैं। विभीषण के बताने पर अशोक वाटिका में जानकीजी का दर्शन किया। रावण द्वारा सीताजी को एक माह की चेतावनी देकर चले जाने के बाद हनुमान सीता के समक्ष आकर अपना परिचय देते हैं। सीताजी की आज्ञा पाकर हनुमान ने फल, फूल खाते हुए बाग को उजाड़ दिया। रावण पुत्र अक्षय कुमार का वध कर दिया। रावण पुत्र मेघनाद उन्हें ब्रह्मपाष में बांध कर रावण की राजसभा में लाया और हनुमान की पूंछ में आग लगा दी। हनुमान स्वर्ण निर्मित लंका का दहन कर पूछ में लगी आग बुझाकर सीताजी के समक्ष पहुंचते हैं। बताते हैं प्रभु राम ने चिन्ह स्वरूप मुद्रिका आपके लिए दी थी, उसी प्रकार आप प्रभु के लिए चिन्ह स्वरूप दीजिए। सीता ने चूड़ामणि उतार कर उनको दे दी। लंका से लौट कर प्रभु को चूणामणि प्रदान की। गोपेश्वरनाथ चतुवेदी, गौरशरण, जयंती प्रसाद अग्रवाल, जुगलकिशोर अग्रवाल, नंदकिशोर अग्रवाल, मूलचंद गर्ग, प्रदीप कुमार,विजय कुमार मौजूद रहे।


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