अस्ताचल की ओर अधिकमास की आस्था का सूर्य
संसू, गोवर्धन: अतुलनीय विश्वास, अद्भुत आस्था, अद्वितीय समर्पण। पर्वतराज गोवर्धन के विराट स्वरूप और
संसू, गोवर्धन: अतुलनीय विश्वास, अद्भुत आस्था, अद्वितीय समर्पण। पर्वतराज गोवर्धन के विराट स्वरूप और श्रद्धा के एक महीने तक अनवरत प्रवाह के आगे ये सारी उपमाएं बौनी नजर आईं। अधिकमास में 15 मई से आस्था का पर्वत भक्ति की सुनामी में डूबा रहा।
मंगलवार शाम उमड़े जन सैलाब से कुछ ही वक्त में पर्वतराज के चारों ओर मानव माला बन गई। सूर्यदेव की प्रचंडता, भीषण गर्मी और उमस भरे वातावरण और धूल भरी आंधी ने बारी बारी से गिरिराज भक्तों की परीक्षा ली, लेकिन अडिग विश्वास और दिलों में हिलोरें लेती भक्ति श्रद्धा को हिला तक नही सकी। इक्कीस किमी नंगे पैर चलने से पड़े छाले और थकान भक्ति का रास्ता रोकने की जुर्रत नहीं कर सके। भक्ति से ओतप्रोत उल्लास में डूबे भक्तों ने राधे राधे के अनुशासन के साथ परिक्रमा पूर्ण की। भरतपुर गोवर्धन मार्ग, डीग गोवर्धन मार्ग, बरसाना गोवर्धन मार्ग, छाता गोवर्धन मार्ग, छटीकरा गोवर्धन मार्ग पर भी रुक रुक कर जाम लगता रहा।
संस्कृति और भाषा ने राह में रोड़ा नही डाला, इशारा कोई भी हो राधे राधे के बोल राह को आसान बनाते चले गए। हर वक्त खुलती दुकानें और चहलकदमी से 24 घंटे दिन होने का अहसास दिलाता अधिकमास 2018 का सूर्य बुधवार शाम के बाद अस्ताचल की ओर होगा। अधिकमास तीन साल में एक बार आता है।