पकने से पहले बिचौलियों के हाथ गिरवी न रख पाएंगे फसल
जागरण संवाददाता मथुरा पकने से पहले ही किसान बिचौलियों के हाथ अपनी फसल को गिरवी रख र
जागरण संवाददाता, मथुरा: पकने से पहले ही किसान बिचौलियों के हाथ अपनी फसल को गिरवी रख रहे हैं। वह बैंक से फसली ऋण लेने के बाद भी बिचौलियों से उनको फसल बेचने की शर्त पर रुपये उधार लेकर आ रहे हैं। बिचौलिया डेढ़ से दो फीसद की ब्याज ले रहे हैं और साथ ही उनकी फसल को भी मनमाने भाव में खरीद रहे हैं।
कृषि से संबंधित तीन विधेयक पारित होने से अब किसान अपनी फसल को किसी भी मनचाही कीमत पर बेचने के लिए आजाद हो जाएगा। अभी तक किसान मंडियों में व्यापारी और बिचौलिया के बीच तय होने वाली कीमत पर फसल बेचने के लिए मजबूर बने हुए थे। उनकी मजबूरी के पीछे बिचौलियों का फैला मकड़ जाल भी था। जिसमें किसान लंबे अरसे से फंसे थे और बाहर निकल नहीं पा रहे थे। फसली ऋण किसान बैंकों से ले रहे हैं। इस ऋण में किसान कुछ धनराशि फसलों की लागत पर खर्च करते थे और कुछ धनराशि दूसरे कार्यों पर खर्च कर रहे हैं। बीच में धनराशि की जरुरत पड़ने पर किसान बिचौलिया से भी उधार रकम ले रहे हैं। यही कारण है, किसान फसल का बेचने के लिए बिचौलिया के यहां ही बेचने के लिए ला रहे हैं। अब किसान अपनी फसल को कहीं भी मनचाही कीमत पर बेच सकता है। किसान ओमप्रकाश सिंह ने बताया, तमाम किसान ऐसे हैं, जो बिचौलिया से पहले ही एडवांस ले चुके हैं और अपनी उपज को उनके हाथ बेच रहे हैं। इस लिए बिचौलिया के तय भाव का विरोध भी नहीं कर पा रहे हैं। नगरी के किसान चतुर्भुज सिंह कहते हैं कि ज्यादातर किसान बिचौलिया से ही जरुरत पड़ने पर रुपये लेकर आते हैं। मगर, इसके बदले किसान को फसल उसे ही बेचनी होती है। यही कारण हैं कि मंडियों में तमाम किसान कई सालों से लगातार अपनी फसल को एक ही बिचौलिया को बेचते चले आ रहे हैं। ---एक फर्म पर कई नाम: मंडियों में दुकानों से अधिक फल, सब्जी और जिस के कारोबार करने के लिए लाइसेंस वितरित कर दिए गए हैं। इन पर दुकान मालिक के साथ-साथ उनके सहयोगी बनकर दूसरे लोग भी बैठ रहे हैं। इनका काम किसानों से संपर्क करना और फिर उनको अपनी फर्म पर जिस, फल और सब्जियों को लाने के लिए प्रलोभन देना। एक बार जो भी इनके चंगुल में फंस गया फिर वह किसान आसानी से छुटकारा नहीं पा सकता है।