मछली से कमाई को फेंके जाल में फंस रहे किसान
कंपनियां दिखा रहीं मोटे मुनाफे का सपना कई जिलों में फैले कमीशन एजेंट रकम वापसी का आश्वासन देकर किसानों को अभी भी बरगला रहीं कंपनियां
मनोज चौधरी, मथुरा: मछली पालन से मोटे मुनाफे का लालच देकर कंपनियां किसानों की रकम हड़प रही हैं। इन कंपनियों के कमीशन एजेंट ने किसानों से पहले कंपनी में रुपये निवेश कराएं। तालाब खोदकर मछली डालीं। अब न तो मछली खरीदने आ रहे हैं और न ही रकम वापस कर रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में थाना हाईवे में 82 लाख रुपये हड़प लिए जाने की कंपनी के दो लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
जिले में बदायूं और गुरुग्राम की कंपनियों ने गांवों में कुछ किसानों को अपना कमीशन एजेंट बनाया है। इन एजेंटों ने साथी किसानों को मछली पालन में मोटा मुनाफा होने और मछली कंपनी द्वारा खरीद लेने का लालच देकर निवेश कराया। गांव ऊमरी के किसान सुशील कुमार ने बताया कि उसने गुरुग्राम की कंपनी में 11.11 लाख रुपये मछली पालन को निवेश किए थे। योजना यह थी कि कंपनी मछली खरीदेगी और 14 महीने तक हर माह डेढ़ लाख रुपये किस्त में लौटा देगी। एक बीघा तालाब में मछली पाली हैं। जमा राशि तो मिल गई, लेकिन मुनाफा नहीं दिया। बदायूं की एक कंपनी में भी सुशील ने 5.50 लाख रुपये का निवेश किया। 68 हजार रुपये मासिक वापस करना था। डेढ़ लाख रुपये कंपनी ने दिए, बाकी पैसा देना बंद कर दिया। इसी गांव के किसान जगपाल उर्फ नेहने ने दिसंबर 19 में बदायूं की कंपनी में तीन लाख रुपये का निवेश कर्ज लेकर किया। तालाब खोदकर मछली पाल रहे हैं। 47 हजार 850 रुपये मासिक कंपनी को वापस देने थे। 10 हजार 700 रुपये की दो किस्त देने के बाद पैसा देना बंद कर दिया। मछली भी तालाब में पल रही हैं। कंपनी के लोग अब मछली लेने भी नहीं आ रहे हैं। किसान विक्रम सिंह ने बताया, मई 2019 में 11 लाख रुपये निवेश किए थे। 1.62 लाख रुपये की किस्त तय हुई। आठ महीना तक भुगतान किया और फिर बंद कर दिया। एक एकड़ में मछली पल रही हैं। गांव पड़ाल के किसान गोविद ने 28 अगस्त 2019 को 16 लाख रुपये कंपनी में मछली पालन को निवेश किए। अभी तक न तालाब की खोदाई हुई और न कोई धनराशि वापस हुई। विक्रम ने बताया, आगरा के चिरमौली गांव के किसान श्याम सिंह ने तो पंद्रह-बीस किसानों का लाखों रुपये का निवेश कंपनी में कराया। उनका कहना है, अभी भी किसान कंपनियों के जाल में फंस रहे हैं। हाल ही में गांव ऊमरी में कुलदीप से भी कंपनी ने तीन तालाब खोदवा दिए। --ऐसे बढ़ रही चेन: ऊमरी गांव निवासी विक्रम सिंह ने बताया, सबसे पहले इस इलाके में कंपनी ने उनके यहां मछली पालन कराया था। दूसरे किसानों के यहां मछली पालन करने पर तीस हजार रुपये कमीशन दिया गया। वह कंपनी के एजेंट के रूप में काम करते रहे। एक कंपनी ने उनका पैसा वापस कर दिया, जबकि दूसरी ने पैसा वापस नहीं किया। --यह भी हुआ था तय:
--7500 रुपये एक तालाब पर रहने वाले सुरक्षा गार्ड को मासिक भुगतान
--मछली-बीज और दाना भी कंपनी किसानों को देगी
--मछली बड़ी हो जाने पर कंपनी तालाब से पकड़ कर ले जाएगी
--समय-समय पर मछली की देखभाल करने के लिए कंपनी के लोग आएंगे --ये यह सरकारी योजना:
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में एक हेक्टेयर पर मछली पालन करने पर 9.50 लाख रुपये की लागत आ रही है। इसमें 7 लाख रुपये तालाब खोदाई और 2.50 लाख रुपये बीज और खाना-दाने को मिलेगा। इसमें सामान्य और पिछड़ी जाति के किसान को 40 फीसद और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा महिला किसानों को 60 फीसद का अनुदान मत्स्य विभाग से दिया जा रहा है। --ऐसे हो रहा किसानों को विश्वास: किसान कहते हैं कि कंपनी पर उनको इसलिए विश्वास हो गया था, कंपनी प्रोजेक्ट उनके ही खेत पर लगा रही है। मछली और दाना भी कंपनी देगी और खरीद कर भी कंपनी ले जाएगी। इसमें उनको कोई दिक्कत नहीं थी। जो रकम कंपनी में निवेश की जा रही है, उसको किस्त में कंपनी वापस भी कर रही है। इसी लालच में वह कंपनी में निवेश कर बैठे।
----तथाकथित कंपनियां मत्स्य पालन के क्षेत्र में सक्रिय हैं। जो किसानों के पास जाकर 5.50 लाख रुपये में 0.5 हेक्टेयर व 11 लाख रुपये में एक हेक्टेयर का तालाब में मत्स्य पालन करा रही हैं। किसानों को 12 से 18 महीने में दोगुना आय करने का लालच दिया जा रहा है। कुछ कंपनियां किसानों का पैसा लेकर भाग गई है। इन कंपनियों का मत्स्य विभाग से कोई संबंध नहीं है। -डा. महेश चौहान, सहायक मत्स्य निदेशक