पानी के लिए करना होगा चार साल का इंतजार
अभी प्रति व्यक्ति मिल रहा 52.15 लीटर कम पानी गंगाजल और ट्यूबवेल से चल रहा काम
मनोज चौधरी, मथुरा: मथुरा-वृंदावन नगर निगम की जनता के लिए पानी का टोटा है। प्रति व्यक्ति को रोजाना 135 लीटर पानी की आवश्यकता है, लेकिन नगर निगम की जलकल इकाई 82.85 लीटर पानी ही उपलब्ध करा पा रही है। 52.15 लीटर पानी प्रतिदिन प्रति व्यक्ति कम मिल रहा है। पर्याप्त पानी के लिए वर्ष 2025 यानि चार साल और इंतजार करना पड़ेगा।
मथुरा-वृंदावन नगर निगम प्रति उपभोक्ता से 900 रुपये वार्षिक जल मूल्य वसूल रहा है। जिनके घर के सामने होकर पाइप लाइन गुजर रही है, उनसे जलकर लिया जा रहा है। इसकी दर भी अलग-अलग है। कुछ इलाकों में अभी तक पाइप लाइन बिछाई जा सकी है। इनमें नगर निगम का ग्रामीण क्षेत्र शामिल हैं। शहर के कुछ इलाकों में टैंकरों से पानी की सप्लाई कराई जा रही है। प्रतिदिन प्रति व्यक्ति को 135 लीटर पानी उपलब्ध कराने का दायित्व नगर निगम का है। नगर निगम की जलकल इकाई को 25 एमएलडी गंगाजल मिल रहा है। 51.6 एमएलडी पानी भूमिगत स्त्रोतों से खींचकर उपलब्ध कराया जा रहा है। 23 एमएलडी पानी अभी कम है। इसकी पूर्ति यमुना जल से हो सकती है, पर यमुना जल का गोकुल बैराज पर शोधन नहीं हो पा रहा है। इसलिए बैराज पर यमुना जल नहीं लिया जा रहा है। पूर्व में जल शोधन किया, लेकिन उसका कलर और दुर्गंध में कमी नहीं आई थी। मूबिन बेड बायो रिएक्टर (एमबीबीआर) तकनीक से संभव है, जो अभी जल निगम के पास नहीं है। यही कारण है, प्रतिदिन प्रति व्यक्ति को 52.15 लीटर कम पानी मिल रहा है। इसकी पूर्ति के लिए लोगों को 2025 तक का इंतजार करना पड़ेगा। - ये तय किए लक्ष्य :
-2021-22 में मिलेगा 114.75 लीटर
-2022-23 में मिलेगा 121.75 लीटर
-2023-24 में मिलेगा 128.25 लीटर
-2024-25 में मिलेगा 135 लीटर -16.50 करोड़ मिले : पाइप लाइन और ट्यूबवेल के लिए 15वें वित्त आयोग से नगर निगम को 16.50 करोड़ रुपये मिले है। इससे विभिन्न क्षेत्रों में पाइप लाइन और ट्यूबवेल लगवाने का कार्य कराया जाएगा। नगर निगम इसके टेंडर भी जारी कर दिए हैं।
-यूं घट जाएगा पाताल में पानी: पेयजल के लिए भूमिगत जल का अंधाधुंध दोहन किया जा रहा है। कुछ लोग नगर निगम के पानी से कम कर रहे हैं तो कुछ ने अपने घरों पर सबमर्सिबल लगा रखे हैं। यही कारण है, नगर निगम के भी ट्यूबवेल ज्यादा दिन तक भरपूर पानी नहीं दे पा रहे है। 32 नलकूप ऐसे हैं, जिनका जलस्तर कम हो गया है। तीन-चार साल बाद यह स्थिति पैदा हो रही है। माना यह जा रहा है, अगर इसी तरह से भूमिगत जल का दोहन होता रहा तो एक दिन पाताल में भी पानी का टोटा पड़ जाएगा। -जितना पानी उपलब्ध हो पा रहा है, उतने की सप्लाई की जा रही है। नई पाइप लाइन बिछाने के लिए भी धनराशि मिल गई है। इसकी टेंडर प्रक्रिया पूरी हो गई है। मानक के हिसाब से वर्ष 2025 तक पानी मिल पाएगा।
-राधेश्याम, प्रभारी महाप्रबंधक जलकल