आधी रात कार्रवाई न होती तो सीबीआइ में छिड़ता महाभारत: विनीत नारायण
12 नवंबर को तय होगा सीबीआइ का भविष्य
जागरण संवाददाता, वृंदावन: ब्रज फाउंडेशन के अध्यक्ष विनीत नारायण ने बताया कि सीबीआइ निदेशक का दो साल का कार्यकाल निर्धारित करने का आदेश उनकी ही जनहित याचिका पर वर्ष 1997 में दिया गया था। हवाला कांड की सुनवाई के दौरान सीबीआइ निदेशक की कार्य प्रणाली में राजनैतिक हस्तक्षेप रोकने के लिए यह प्रावधान किया गया था। मौजूदा मामले में निदेशक व सह निदेशक के बीच जिस तरह की शर्मनाक स्थिति पैदा हुई, उसके चलते सरकार को ये कदम जल्दबाजी में उठाने पड़े। वरना सीबीआइ में महाभारत छिड़ जाता, जिससे राजनैतिक अस्थिरता पैदा होने की भी संभावना थी।
सीबीआइ की स्वायत्तता के लिए संघर्ष करने वाले विनीत नारायण ने शनिवार को पत्रकारों से कहा कि 12 नवंबर को सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के आदेशानुसार केंद्रीय सतर्कता आयोग सीबीआइ विवाद पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। अदालत में विनीत नारायण भी मौजूद रहेंगे। नारायण ने बताया कि सीबीआइ निदेशक की नियुक्ति व कार्यप्रणाली को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के मशहूर 'विनीत नारायण फैसले' का संबंध है, इसे आज तक शब्दश: लागू नहीं किया गया। हर सरकार में सीबीआइ का राजनीतिक दुरुपयोग होता आया है। इसके कई निदेशकों पर भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े आरोप लगते आ रहे हैं। अब समय की मांग है कि उस फैसले पर सर्वोच्च न्यायालय पुन: विचार करे और सीबीआइ की कार्यप्रणाली में जो अवरोध आ रहे हैं, उन्हें दूर करें।
उन्होंने कहा कि इस मांग को लेकर वह जल्द ही सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने जा रहे हैं। 12 नवंबर को अदालत के फैसले को सुनने के बाद वह अपनी जनहित याचिका के प्रारूप को अंतिम रूप देंगे, जिससे इस मामले में अदालत की ¨चतन प्रक्रिया का भी पता चल जाएगा।