बच्चों को निमोनिया से बचाने को शुरू हुआ अभियान
अभिभावकों को रोग के लक्षण का पता लगाने व समय से सही चिकित्सक से इलाज की दी जा रही सलाह 28 फरवरी तक चलेगा अभियान
जागरण संवाददाता, मथुरा: बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से चार महीने का विशेष अभियान चलाया जा रहा है। 28 फरवरी 2022 तक चलने वाले इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर पहुंचकर अभिभावकों को बच्चों के रोग के लक्षण को पहचानने तथा परेशानी होने पर चिकित्सक से तत्काल संपर्क करने की सलाह दे रही हैं।
भारत सरकार के उप सचिव (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) विकास शील ने स्वास्थ्य विभाग को निमोनिया से होने वाली बच्चों की मौत रोकने के लिए सांस जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। इसमें निमोनिया के लक्षणों का समय पर पता लगाने और सही समय से तथा सही चिकित्सक से इलाज कराने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए ये अभियान शुरू हुआ है। स्वास्थ्य मंत्रालय का लक्ष्य है कि 2025 तक शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों में निमोनिया से होने वाली मौतों की दर घटकर प्रति एक हजार पर तीन से भी कम करना है। सीएमओ डा. रचना गुप्ता ने बताया कि अभियान के माध्यम से बच्चों में होने वाले निमोनिया को हराने का संकल्प लेना है। बाल रोग विशेषज्ञ डा. अंशु शर्मा ने बताया कि जैसे ही बच्चों को जोर से सर्दी जुकाम हो, सांस लेने में तकलीफ हो, छाती अंदर धंस जाए और तेज बुखार हो तो निमोनिया हो सकता है। पांच साल तक के बच्चों की होने वाली अकाल मौत में 14 फीसदी निमोनिया की वजह से मर जाते है। बच्चों को निमोनिया के लक्षण दिखने पर किसी प्रकार का झाड़ फूंक, टोटके के चक्कर में समय खराब नहीं करना चाहिए।