सेवायतों की गुटबाजी में उलझी प्रबंधन कमेटी, पांच साल से गठन नहीं
मंदिर संविधान के तहत हर तीन साल में चुनाव का प्रविधान वर्ष 2016 से निष्प्रभावी चल रही कमेटी प्रशासक के पास अधिकार
संवाद सहयोगी,वृंदावन: ठा. बांकेबिहारी मंदिर में व्यवस्थाएं सुचारु रहें, इसके लिए एक प्रबंधन कमेटी का भी प्रविधान है। मगर, गुटबाजी के कारण सेवायत समाज सात सदस्यों पर एकमत नहीं हो पाता है। स्थिति ये है कि पांच साल से कमेटी निष्प्रभावी है और मंदिर का संचालन अदालत कर रही है। सिविल जज जूनियर डिवीजन इसके प्रशासक हैं।
ठा. बांकेबिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए गोस्वामी समाज ने वर्ष 1938 में संविधान बनाया। पहली बार वर्ष 1939 में प्रबंध कमेटी चुनी गई। इसके बाद कमेटी के चुनाव हुए। वर्ष 2016 में गठित कमेटी के सदस्यों में हुए मनमुटाव के बाद गौरव गोस्वामी ने दो महीने बाद ही इस्तीफा दे दिया। तभी से मंदिर की व्यवस्था का संचालन सिविल जज जूनियर डिवीजन के हाथ में पहुंच गया। इसलिए सेवायतों में गुटबाजी
ठा.बांकेबिहारी मंदिर में राजभोग और शयनभोग सेवाधिकारियों के बीच गुटबाजी दशकों पुरानी है। इसके पीछे चढ़ावा है। राजभोग सेवा सुबह होती है। मंदिर में हर पर्व-उत्सव(अक्षय तृतीया को छोड़कर) शाम को मनाया जाता है। ये शयनभोग सेवा में आता है। फूलबंगला का आयोजन भी शयनभोग सेवा में होता है। इसलिए शयनभोग के समय में मोटा चढ़ावा अर्पित होता है। काबिलेगौर है कि राजयोग व शयनभोग के सेवाधिकारी अलग-अलग होते हैं। कमेटी के प्रस्ताव जो अमल में न आ पाए
वर्ष 2013 में कमेटी सदस्य रहे रजत गोस्वामी बताते हैं कि गर्भगृह के सामने वाले हिस्से में भोग भंडार के स्थान पर हाल बनाकर मुख्य परिसर में समाहित करने का प्रस्ताव पास हुआ। ताकि भीड़ का दबाव कम हो। इसी हिस्से से सटी कुछ जमीन (जो मंदिर को दान दी गई थी और मामला प्रशासन के यहां लंबित है) को भी मंदिर प्रांगण में जोड़ने का प्रस्ताव पास किया। इसी तरह, निधिवन, राधाकुंड में मंदिर की मरम्मत के प्रस्ताव भी पास किए थे। ये प्रस्ताव अमल में नहीं आ पाए। ये है संविधान
- कमेटी में कुल सात सदस्य होते हैं
-चार सदस्यों का चुनाव सेवायत समाज के 550 परिवार करते हैं।
-इन चारों सदस्यों में दो सदस्य राजभोग और दो शयनभोग सेवा व्यवस्था के लिए होते हैं।
-यह चार सदस्य सेवायत समाज से बाहर के तीन सदस्यों को मनोनीत करते हैं।
-सात सदस्य ही अपने बीच से अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। कमेटी को सर्व अधिकार
ठा. बांकेबिहारी मंदिर प्रबंध कमेटी को व्यवस्था संचालन और नई योजनाओं को अमल में लाने का पूरा अधिकार है। जब कमेटी अस्तित्व में नहीं रहती, तब मंदिर की व्यवस्थाएं प्रशासक के आदेश के अनुसार ही संचालित होती हैं।
-उमेश सारस्वत, प्रबंधक, मंदिर कमेटी। मंदिर की मर्यादा बचाने को बंद किए थे पट: सेवाधिकारी
ठा. बांकेबिहारी मंदिर में सोमवार की सुबह सेवायत मोहित गोस्वामी से मारपीट हुई थी। इस मामले में मंदिर प्रशासक द्वारा दिए गए नोटिस के जवाब में सेवाधिकारी शैलेंद्रनाथ गोस्वामी ने कहा है कि जब वह ठाकुरजी की सेवा कर रहे थे, तो मोहित गोस्वामी व उसके स्वजन ने उनपर हमला बोल दिया। मंदिर की मर्यादा को बचाने के उद्देश्य से उन्होंने पट बंद कर दिए। इसके साथ ही सेवाधिकारी ने मोहित गोस्वामी व उनके परिवार पर मारपीट करने का आरोप लगाते हुए तहरीर दी है। इस मामले में मोहित ने सोमवार को ही सेवाधिकारी शैलेंद्रनाथ गोस्वामी और उनके परिवार के लोगों के खिलाफ तहरीर दे दी थी। दो दर्जन सेवायतों पर की गई थी कार्रवाई
रजत गोस्वामी बताते हैं कि कमेटी को हर वो अधिकार प्राप्त हैं जो ठाकुरजी के हित, मंदिर की मर्यादा में मान्य हों। अगर कोई सेवायत मनमानी करता है, तो उसे अर्थदंड के साथ मंदिर ट्रस्ट से मिलने वाली सुविधाओं पर भी रोक लगाने का अधिकार है। तीन साल के कार्यकाल में करीब दो दर्जन सेवायतों को दंडित भी किया गया जिन्हें, क्षमा याचना के बाद सुविधा बहाल की गई।