आलू की फसल पर पिछैती झुलसा को लेकर जारी किया अलर्ट
पिछैती झुलसा रोग के आने को लेकर अलर्ट जारी किया है। मथुरा और फीरोजाबाद में इसके लक्षण दिखाई देने लगे हैं। उद्यान विभाग ने आलू उत्पादक को तत्काल रोकथाम करने की सलाह दी है।
जागरण संवाददाता, मथुरा: मौसम का मिजाज ठंडा हो गया है। सर्दी पाले का केंद्रीय आलू संस्थान मोदीपुरम मेरठ ने इंडो ब्लाइटकास्ट (पेन इंडिया माडल) से पिछैती झुलसा रोग के आने को लेकर अलर्ट जारी किया है। मथुरा और फीरोजाबाद में इसके लक्षण दिखाई देने लगे हैं। उद्यान विभाग ने आलू उत्पादक को तत्काल रोकथाम करने की सलाह दी है।
रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील होने वाली आलू की फसल 17500 हेक्टेयर में लहलहा रही है। तापमान तेजी नीचे लुढ़क रहा है। ऐसे में आलू के पौधे की ऊपर की पत्तियों से पिछैती झुलसा रोग शुरू होने लगा है। शुरू में किनारे की पत्तियां काली होती हैं। तेजी से इसका प्रकोप पत्तियों और तने से होता हुआ कंद तक पहुंच जाता है। समय से रोकथाम न होने पर दो-तीन दिन में यह रोग पूरी फसल बर्बाद कर सकता है। विकास खंड बलदेव, राया और महावन क्षेत्र से आलू की फसल में पिछैती झुलसा आने की खबर उद्यान विभाग को मिल रही है। जिला उद्यान अधिकारी जगदीश प्रसाद ने बताया, केंद्रीय आलू संस्थान मोदीपुरम मेरठ ने अपने इंडो ब्लाइटकास्ट(पेन इंडिया माडल) से आलू की फसल पर पिछैती झुलसा रोग आने का पूर्वानुमान भी जारी किया है। मथुरा और फीरोजाबाद जिले में रोग के लक्षण दिखाई देने लगे हैं। इसके आधार पर उद्यान विभाग ने आलू उत्पादक किसानों को अलर्ट कर दिया है। ---रोकथाम के करें उपाय: आलू की फसल में फफूंदीनाशक दवा का छिड़काव अभी तक नहीं करने वाले किसानों को तत्काल दवा का छिड़काव करने की सलाह दी गई है। मैंकोजैब, प्रोपीनेव, क्लोरोथेलोनील दवा की उद्यान विभाग ने संस्तुति भी की है। दो से ढाई किलोग्राम दवा को एक हजार लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर दर से छिड़काव करने को कहा गया है। रोग की चपेट में आई फसल में मैंकोजेब और साइमोक्लसोनिल तीन किलोग्राम दवा के मिश्रण को एक हजार लीटर पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। दस दिन बाद दोबारा से छिड़काव भी किया जाए। अधिक प्रकोप होने पर इस समय अवधि को कम करके छिड़काव करें।