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आखिर भक्तों को भगवान से कब तक रखोगे दूर

उठी आवाज दुकानों की तरह मंदिरों में भी भीड़ एकत्रित न होने की बने योजना बेसब्री जब देश में सबकुछ सामान्य तो मंदिरों में भी मिले जाने की छूट श्रद्धालुओं के आवागमन पर टिकी है तीर्थनगरी की अर्थ व्यवस्था

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 12:39 AM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 12:39 AM (IST)
आखिर भक्तों को भगवान से कब तक रखोगे दूर
आखिर भक्तों को भगवान से कब तक रखोगे दूर

संवाद सहयोगी, मथुरा : मंदिरों की नगरी वृंदावन में न केवल स्थानीय बल्कि देश-दुनिया से आकर आराध्य की साधना करने में जुटे भक्तों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है। भक्तों का कहना है कि जब देश में सबकुछ सामान्य होने लगा है तो मंदिरों में श्रद्धालुओं को प्रवेश क्यों नहीं दिया जा रहा है। जिस तरह दुकानों पर शारीरिक दूरी का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं, ठीक उसी तरह मंदिरों में भी व्यवस्था की जाए। जिसकी जिम्मेदारी मंदिर प्रबंधन करें, ताकि भक्तों को अपने आराध्य के दर्शन सुलभ हो सकें।

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दरअसल, ठा. बांके बिहारी की नगरी में करीब पांच हजार मंदिरों के अलावा आश्रम और मठ हैं। यही कारण है कि दुनियाभर के श्रद्धालु मंदिरों के दर्शन के लिए यहां आते हैं। शहर में कारोबार भी पूरी तरह तीर्थयात्रियों पर ही निर्भर है। फिर चाहे वह मंदिर के पुजारी, तीर्थपुरोहित, फूलमाला विक्रेता हों या मिठाई की दुकानों पर प्रसाद बेचने वाले व्यापारी, कंठी-माला, श्रृंगार-पोशाक का कारोबार भी श्रद्धालुओं पर निर्भर है। जब मंदिर ही नहीं खुल पा रहे तो शहर में कारोबारी हों या आम लोग हर किसी की आय ठप हो चुकी है। कारोबारियों की बात छोड़ भी दी जाए तो हजारों श्रद्धालु ऐसे हैं जो कि जीवन के अंतिम पड़ाव में अपनों से दूर वृंदावन में रह रहे हैं। वह भी इस संकल्प के साथ ही हर दिन आराध्य के दर्शन के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करेंगे। ऐसे भक्तों के सामने भी पिछले दो महीने से समस्या विकराल हो रही है। इनका कहना है

मंदिरों को खोला जाना बहुत ही आवश्यक है। चूंकि यहां हजारों भक्त ऐसे हैं जो बिना आराध्य दर्शन के अन्न जल ग्रहण नहीं करते। दुकानों की तरह मंदिर में दर्शन के नियम बनें और प्रबंधन जिम्मेदारी संभाले।

-महामंडलेश्वर भास्करानंद, अखंडदया धाम, वृंदावन। मंदिर ही नहीं खुलेंगे तो वृंदावन में कोई भी कारोबार नहीं चल सकेगा। यहां का हर कारोबार श्रद्धालुओं पर निर्भर है। फिर चाहे दुकानदार हों, तीर्थपुरोहित हों या फिर होटल-गेस्टहाउस। मंदिर खुलना अब बहुत जरूरी है।

-हरिदास अग्रवाल, व्यापारी। जब देश में सबकुछ सामान्य हो रहा है, तो मंदिर भी खुलने चाहिए, ताकि तीर्थस्थलों में रोजगार शुरू हो। श्रद्धालुओं की एंट्री के लिए सामाजिक दूरी के नियम बनाए जाएं और उनका पालन करने के लिए मंदिर प्रबंधन जिम्मेदारी संभाले।

-विजय रिणवा, प्रबंधक, धानुका आश्रम। जब तक मंदिर नहीं खुलेंगे वृंदावन में रोजगार के अवसर शुरू नहीं होंगे। यहां हर कोई मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं पर निर्भर कारोबार है। लॉकडाउन से पहले से ही कारोबार ठप पड़ा है।

-शिवा गौतम, मुकुट-श्रृंगार कारोबारी।


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