20 मिनट की आग, सब कुछ खाक
सामान बचाने को दौड़ते और चीखते रहे आढ़ती कुछ नहीं बचा बेबस किसान भी बिलखते रहे कुछ भी नहीं बचा
जागरण संवाददाता, मथुरा : बिजली के तारों से एक चिगारी निकली और 20 मिनट में सब कुछ राख के ढेर में बदल गया। आंखों के सामने आग की लपटों ने सपने तोड़ दिए और आढ़ती कुछ कर भी नहीं पाए। वह बार-बार चीखते, इधर-उधर दौड़ते लेकिन आग की लपटों ने सब कुछ अपनी चपेट में ले लिया। उनको आढ़त से अलमारी तक निकालने का मौका नहीं मिल सका। आंखों में आंसू लिए व्यापारियों और किसानों का सब कुछ जल गया। कृषि उत्पादन मंडी समिति में कारोबार आरंभ भी नहीं हुआ था कि उससे पहले अनाज मंडी के चबूतरा संख्या दो आग की लपटों से घिर गया। 20 मिनट में पूरे चबूतरे को आग ने अपनी चपेट में ले लिया। आढ़तियों को मंडी में आग लगने की सूचना मिली तो जो जिस हाल में था मंडी की तरफ भाग लिया। जब आढ़ती मंडी पहुंचे, आढ़त के अंदर से धुआं उठ रहा था, जो दोपहर बाद तक उठता रहा। तपिश के कारण आढ़ती आढ़त के अंदर से सामान तक नहीं निकाल पाए। बिक्री नहीं होने पर किसान महावीर सिंह के 500 बोरा गेहूं के रामप्रकाश ट्रेडिग कंपनी और निर्भय सिंह दीक्षित ट्रेडिग कंपनी के यहां 110 बोरा सरसों रख गए थे। वह भी जल गए। बेचने के लिए कुछ किसान बाजरा लेकर आए थे, उसे भी उन्होंने आढ़तों के सामने ही ढेर लगा दिया था। आग में वह भी जल गया। आग की लपटों में आढ़ती और किसान दोनों का नुकसान हुआ है। कुछ आढ़तियों और उनके मजदूरों ने अलमारियों को खींचने की कोशिश की, पर तपिश ने उनको पास तक नहीं जाने दिया। अलमारी पिघल गईं और उनके अंदर रखे दस्तावेज व नकदी भी जल गईं। आग की सूचना पर व्यापारियों के स्वजन भी पहुंच गए। महिलाएं आग में अपना सब कुछ राख होते देख बिलखती रहीं, लेकिन सिवाए आंसू बहाने के कुछ कर नहीं पा रही थीं। घटना की सूचना पर एडीएम प्रशासन विजय शंकर दुबे, एसडीएम प्रशांत नागर, कानून गो ईश्वरी प्रसाद भी मौके पर पहुंचे। हादसे में ये जला
-3470 कुंतल गेहूं
-105 जौ
-200 कुंतल जई
-14 लाख नकद
-7 कुंतल अरहर
-124 कुंतल मूंग
-133 कुंतल बाजरा
-437 कुंतल सरसों
-4 मोटरसाइकिल
-15 लाख रुपये का बारदाना
-(पीड़ित आढ़तियों के अनुसार) -इनका हुआ नुकसान : रामगोपाल, हरिओम, ओमवीर, चंद्रप्रकाश, चरन सिंह, लाखन लाल, रोशन लाल, उमेश चंद्र शर्मा, प्रताप सिंह, द्वारकाप्रसाद, बृजकिशोर, जुगल किशोर, विष्णु शर्मा, अशोक कुमार, अशोक कुमार, सूरज, रामहरी, सौरभ, शिवकुमार, रामप्रकाश, भूरी सिंह, मोहन लाल, राजवीर सिंह, पवन कुमार और महेश चंद्र। - पहले भी लगी आग: आढ़तियों का कहना था, वर्ष 2015 से हर दूसरे-तीसरे साल मंडी में आग लग रही है। तीन बार चबूतरा संख्या चार और एक बार खुले चबूतरा पर आग लगी थी। इसमें जलने से एक मजदूर की भी मौत हो गई था। करोड़ों रुपये टैक्स के बाद भी आग बुझाने के संसाधन नहीं
मथुरा: ये उस मंडी का हाल है, जहां पर आढ़ती करोड़ों रुपये हर साल टैक्स देते हैं। लेकिन इस मंडी में आग बुझाने के साधन तक नहीं हैं। बुधवार को मंडी में आग लगने के बाद जब दमकल पहुंची तो उसे आग बुझाने को पानी तक नहीं मिला। दो दमकलें आग बुझाने पहुंचीं, लेकिन पानी न होने के कारण उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्हें मंडी में आग बुझाने के लिए मंडी से भूतेश्वर स्थित फायर स्टेशन के बीच बार-बार पानी लेने के लिए दौड़ना पड़ा। व्यापारियों का कहना है कि पूर्व में भी आग लगने की घटनाएं हुई हैं। लेकिन आज तक यहां आग बुझाने के संसाधन उपलब्ध नहीं कराए गए। यहां पर आग बुझाने की कोई व्यवस्था होती, तो शायद काफी सामान बच जाता।
मंडी सचिव राजेंद्र कुमार ने बताया कि मंडी में आग बुझाने के साधनों की व्यवस्था करने और चबूतरों के बीच में सबमर्सिबल लगवाने की कार्ययोजना बनाकर मुख्यालय को भेजी जाएगी।