कम मतदान ने छुड़ाया सबका पसीना, जीत-हार को लगाते रहे गणित
मैनपुरी दिलीप शर्मा। लोकसभा चुनाव में बसपा और रालोद से गठबंधन करने वाली सपा जहां जीत का अंतर ऐतिहासक रहने का दावा करने में जुटी थी वहीं भाजपा इस बार सपा का गढ़ कही जाने वाले इस क्षेत्र में सेंध लगाकर इतिहास रचने का ऐलान कर रही थी। अब मतदान के बाद दोनों की दलों के नेताओं के माथे पर शिकन साफ देखी जा सकती है। घटे मतदान फीसद ने सबका पसीना छुड़ा दिया है। हालांकि जीत के दावे अब भी हैं लेकिन अंदरखाने इसे लेकर मंथन का दौर चल रहा है।
दिलीप शर्मा, मैनपुरी: मैनपुरी लोकसभा चुनाव में बसपा और रालोद से गठबंधन करने वाली सपा जहां जीत का अंतर ऐतिहासिक रहने का दावा करने में जुटी थी, वहीं भाजपा इस बार सपा का गढ़ कही जाने वाले इस क्षेत्र में सेंध लगाकर इतिहास रचने का ऐलान कर रही थी। अब मतदान के बाद दोनों की दलों के नेताओं के माथे पर शिकन साफ देखी जा सकती है। घटे मतदान फीसद ने सबका पसीना छुड़ा दिया है। हालांकि जीत के दावे अब भी हैं, लेकिन अंदरखाने इसे लेकर मंथन का दौर चल रहा है।
मैनपुरी लोकसभा सीट पर सपा-बसपा-रालोद गठबंधन ने मुलायम सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया था। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव यहां करीब साढ़े तीन लाख वोटों के अंतर से जीते थे। ऐसे में सपा इस बार इससे भी बड़ी जीत के दावे ठोक रही थी। लेकिन जब मतदान का आंकड़ा सामने आया तो सपा नेताओं की उलझन बढ़ गई। दरअसल वर्ष 2014 के चुनाव में कुल मतदान 60. 46 फीसद रहा था, जो कि इस बार घटकर 57.37 तक ही सिमट गया है। सपा के लिए इससे भी बड़ी चिता की बात करहल और जसवंतनगर विधानसभा में मतदान का प्रतिशत रहा। यहां 2014 के चुनाव के मुकाबले 10 फीसद तक कम मतदान हुआ है। जबकि यह दोनों ही क्षेत्र सपा के लिए सबसे अहम माने जाते हैं। पूर्व के चुनावों में सपा को यहीं से बड़ी लीड मिलती रही है। सपा के संगठन में इसे लेकर चर्चा भी शुरू हो गई है। मतदान के बाद जिला संगठन ने अपने सभी बूथ प्रभारियों से रिपोर्ट मांगी है। वहीं बुधवार को पार्टी कार्यालय पर भी नेता मतों के गुणाभाग में जुटे रहे।
दूसरी तरफ भाजपा ने प्रेम सिंह शाक्य पर दांव लगाया है, प्रेम सिंह शाक्य वर्ष 2014 के उपचुनाव में भी भाजपा से प्रत्याशी थे। तब लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदान फीसद 61.32 रहा था और प्रेम सिंह शाक्य को 3.36 लाख के लगभग वोट मिले थे। ऐसे में घटे मतदान प्रतिशत ने भाजपा को भी चौंका दिया है। आमतौर पर अधिक मतदान होन ही भाजपा के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसमें भी भाजपा की सबसे ज्यादा चिता भोगांव और मैनपुरी शहर के मत प्रतिशत ने बढ़ाई है। इन दोनों विधानसभाओं में भी बीते चुनाव के मुकाबले कम वोट पड़े हैं। यहां भी कुछ परपंरागत समर्थक बूथों पर मतदाता थोड़े उदासीन रहे। भाजपा ने मतदान के बाद भी बैठक कर इस पर मंथन किया था। वहीं भाजपा नेताओं की अब अगले चुनावों में ड्यूटी लगा दी गई है, ऐसे में बुधवार को भाजपा कार्यालय पर सन्नाटा पसरा रहा। हालांकि सूत्रों का कहना है के मतदान को लेकर हाईकमान को रिपोर्ट बनाकर भेजी जा रही है। दी जाएगी मौसम की दुहाई
दोनों ही दलों को अब हाईकमान को अपनी रिपोर्ट देनी है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा संगठन इसमें मौसम की गलती बताने की तैयारी कर रहा है। हालांकि कुछ हद तक यह बात भी सही मानी जा सकती है। गर्मी के कारण भी मतदान प्रभावित रहा था। सपा की रिपोर्ट में बदायूं और फीरोजाबाद का चुनाव
सपा से जुड़े सूत्रों की माने तो रिपोर्ट में बंदायू, फीरोजाबाद और मैनपुरी का चुनाव एक साथ होने की बात का जिक्र करने की तैयारी चल रही है। इन तीनों जगहों पर एक ही दिन मतदान के कारण सपा की ताकत तीन जगह बिखर गई थी। ऐसे में मत प्रतिशत प्रभावित हुआ।