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नुक्कड़-नुक्कड़ बहस, इंटरनेट की युवाओं को दी जिम्मेदारी

रणनीति पर अमल को कार्यकारी जिलाध्यक्ष बनाने की तैयारी में कांग्रेस सपा ने युवाओं सौंपी कमान दो हजार कार्यकर्ता कर दिए गए सक्रिय

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 06:34 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 06:34 AM (IST)
नुक्कड़-नुक्कड़ बहस, इंटरनेट की युवाओं को दी जिम्मेदारी
नुक्कड़-नुक्कड़ बहस, इंटरनेट की युवाओं को दी जिम्मेदारी

जागरण संवाददाता, मैनपुरी: कोरोना संक्रमण ने चुनाव प्रचार का चेहरा ही बदल दिया है। भीड़ जुटाई नहीं जा सकती, ऐसे में मतदाता तक पहुंचने को दूसरे उपाय आजमाए जा रहे हैं। सपा ने इंटरनेट मीडिया की कमान युवाओं को सौंपी है तो संघ ने चौपाल का सहारा लिया है। कांग्रेस ने अपने जिलाध्यक्ष को ही मैदान में उतार दिया है। ऐसे में संगठन नए सिरे से रणनीति तैयार कर रहा है।

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वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा की प्रचंड लहर में भी मैनपुरी में सपा का किला सुरक्षित रहा था। जिले की चार विधानसभा सीट में भाजपा एक ही जीत सकी थी। इस बार भाजपा अपने प्रदर्शन बेहतर करना चाहेगी तो सपा उससे एकमात्र सीट भी छीनने की कोशिश करेगी। कांग्रेस ने इस बार यहां चारों सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। ऐसे में सारा दारोमदार चुनाव प्रचार के ढंग पर है।

समाजवादी पार्टी इस किलेबंदी में जुट गई है। मतदाताओं तक वर्चुअल पहुंचने के लिए उनसे युवाओं पर भरोसा जताया है। जिलाध्यक्ष देवेंद्र सिंह यादव का कहना है कि युवा इंटरनेट मीडिया का सदुपयोग करने में माहिर हैं। अलग-अलग प्लेटफार्म और एप की मदद से वे पल भर में अपनी बात को सैकड़ों लोगों तक पहुंचा सकते हैं। युवजन सभा की पूरी टीम में से ऐसे सक्रिय कार्यकर्ताओं के नाम लिए जा रहे हैं जो इंटरनेट मीडिया को संभाल सकें। इस रणनीति पर अमल के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष युवजन सभा मुहम्मद फहद को चुनाव प्रभारी बनाया गया है। जिलाध्यक्ष का कहना है कि इस समय तक पार्टी के दो हजार युवा कार्यकर्ता ट्विटर, फेसबुक, वाट्सएप और इंस्टाग्राम पर चौबीस घंटे सक्रिय हैं। संघ ने रचा चौपालों का चक्रव्यूह:

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी चुनाव में अपनी भूमिका निभाना शुरू कर दिया है। जनता के बीच केसरिया खेमे के लिए सकारात्मक सोच पैदा करने की कवायद चल रही है। संघ पदाधिकारी और स्वयंसेवकों को चौपालों पर बहस की शुरुआत करने या पहले से छिड़ी चर्चा में शामिल होने के निर्देश हैं। हिदायत दी गई है कि बहस में भागीदारी इस तरह हो कि वह खुद भाजपा का समर्थन करते नजर न आएं। तर्क और तथ्यों से लोगों का रूझान बनाने का प्रयास करें। रणनीति के तहत धर्म की रक्षा और सम्मान का बिदु अहम रूप से शामिल है। अयोध्या, काशी के उदाहरण दिए जा रहे है। देशप्रेम व देश की सुरक्षा का राग छेड़ा जा रहा है। तुष्टिकरण की राजनीति भी चर्चाओं के केंद्र में लाई जा रही है। नए सिरे से रणनीति बना रही कांग्रेस:

वर्ष 2017 के चुनाव में गठबंधन के तहत जिले में न लड़ने वाली कांग्रेस इस बार चारों सीटों पर लड़ने जा रही है। मैनपुरी से जिलाध्यक्ष विनीता शाक्य और करहल से ज्ञानवती को उम्मीदवार बनाया है। जिलाध्यक्ष विनीता शाक्य के मैदान से संगठन की रणनीति फिलहाल गड़बड़ा गई है। केंद्रीय पर्यवेक्षक मनीष शाह के बीते दिनों भ्रमण के दौरान कार्यकारी जिलाध्यक्ष बनाने पर मंथन हुआ था। कांग्रेस के प्रदेश महासचिव प्रकाश प्रधान जल्द रणनीति स्पष्ट होने की बात कह रहे हैं। शहर अध्यक्ष अजय दुबे का कहना है कि संगठन को बूथ तक सक्रिय करने को कार्यकारी जिलाध्यक्ष बनाया जाएगा।


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