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हर बार छले गए रतनपुर गांव के बाशिंदे

कई साल से कच्चा पड़ा है गांव का मुख्य मार्ग कई बार लगाई जनप्रतिनिधि से गुहार सिर्फ मिला आश्वासन

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 06:51 AM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 06:51 AM (IST)
हर बार छले गए रतनपुर गांव के बाशिंदे
हर बार छले गए रतनपुर गांव के बाशिंदे

संसू, किशनी: विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले गांव रतनपुर के बाशिंदों को हर बार छला गया। चुनाव के दौरान मुख्य मार्ग बनवाने का जनप्रतिनिधि द्वारा आश्वासन तो दिया गया, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो सका। इसे लेकर ग्रामीण पिछले दिनों प्रदर्शन भी कर चुके हैं, लेकिन कुछ नहीं हो सका है।

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ग्राम सभा रठेह के मजरा रतनपुर मुख्य मार्ग कच्चा होने से बदहाली का शिकार है। इससे ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि पांच सौ आबादी वाले गांव में तीन सौ से अधिक मतदाता हैं। गांव के मुख्य मार्ग की लंबाई लगभग 900 मीटर है, परंतु इसको पक्का कराने का काम किसी ने नहीं किया। जरूरत पड़ने पर चारपहिया वाहन गांव में पहुंच ही नहीं पाते। लोगों के बीमार होने पर सबसे ज्यादा मुश्किल होती है। बीमार को चारपाई पर लिटाकर ले जाना पड़ता है। बरसात के दिनों में फिसलन और जलभराव होने के कारण दो माह तक बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं। इस संबंध में ग्रामीण कई बार शिकायत कर चुके हैं, परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। चुनावों में भी उनको आश्वासन ही मिलते रहे हैं। इस बार भी उनके लिए यह सबसे बड़ा मुद्दा है। गांव के रास्ते को पक्का कराने का मामला ग्रामीण सबके सामने उठाएंगे। सिर्फ 24 घंटे बाकी, बढ़ रही धड़कन

जासं, मैनपुरी: विधानसभा चुनाव पर कोरोना के बढ़ते खतरा को देख राजनीतिक दल असमंजस में हैं। आयोग ने 15 जनवरी तक ही वर्चुअल रैली के आदेश दिए हैं। चौबीस घंटे बाद यह बाध्यता पूरी हो जाएगी। ऐसे में आयोग के नए आदेशों को लेकर सभी राजनीतिक दलों की धड़कन बढ़ी हुई हैं।

चुनाव की तारीखों का एलान करते समय चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक किसी भी प्रकार की रैली, जनसभा और काफिले को प्रतिबंधित करने के आदेश दिए थे। सिर्फ वर्चुअल रैली ही की जा सकती है। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे कोरोना के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। जिले में अब तक 373 कोरोना के सक्रिय केस हैं। यह संख्या प्रतिदिन बढ़ ही रही है। 15 जनवरी तक की समय सीमा नजदीक आते ही राजनीतिक दलों की धड़कन बढ़ी हुई हैं। सभी आस लगाए बैठे हैं कि 16 जनवरी से आयोग राहत दे सकता है। उम्मीद पर राजनीतिक दलों ने प्रचार-प्रसार से संबंधित सामग्री भी जुटानी शुरू कर दी है, लेकिन बढ़ती कोरोना संक्रमण की दर को देखते हुए फिलहाल प्रचार की राहत मिलना आसान नहीं लग रहा है। इसे लेकर कोई भी कुछ बोलने से बच रहा है। सभी का एक सा जवाब है कि जो आयोग का फैसला होगा, वही सर्वमान्य होगा।


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