इस बार भी फर्स्ट डिवीजन उत्तीर्ण नहीं कर सका मतदान
जागरूकता और तमाम प्रयासों पर भारी पड़ी मतदाताओं की सुस्ती जसवंत नगर और करहल विस क्षेत्र हुए फेल मैनपुरी भी सुस्त।
मैनपुरी, जासं। संसदीय सीट के लिए 23 अप्रैल को हुए मतदान में जिले के मतदाता इस बार प्रथम श्रेणी से पहले ही ठिठक गए। जागरूकता और तमाम प्रयासों के बाद भी मतदान फीसद साठ के पार होने से पहले ही थम गया। जसवंत नगर और करहल के मतदाताओं की बेरुखी भी परिणाम को पीछे रोकने में सहायक साबित हुई। वहीं, तापमान और दूसरे जिला में इसी दिन मतदान होना भी कारण बताया जा रहा है।
जिला में 17वीं लोकसभा के चुनाव के लिए प्रशासन मतदान को 70 फीसद के पार ले जाने की तैयारी में था। इसके लिए स्वीप के जरिए तमाम जागरूकता कार्यक्रम हुए। सामाजिक संगठन, शैक्षणिक संस्थाओं के साथ भी प्रशासन ने मतदान फीसद बढ़ाने को कदमताल मिलाई। मतदान के दिन तापमान ने इसे प्रथम श्रेणी हासिल करने से रोका तो पड़ोसी जिला फीरोजाबाद में इसी दिन चुनाव होने से दो विधानसभा के मतदाता परिणाम को आगे पहुंचाने में पीछे ही रह गए। जानकारों का कहना है कि एक नए दल के कार्यकर्ता यहां के बजाय दूसरे जिला में खुद का मतदान कर खिसक गए, ऐसे में मतदाताओं को बूथों पर भेजने का काम भी जोर नहीं पकड़ पाया।
जिला में लोकसभा चुनावों की बात करें तो साल 1951 से अब तक महज दो बार मतदाता साठ फीसद से ज्यादा मतदान कर तीन बार फर्स्ट डिवीजन पास हुए हैं, जबकि इसके अलावा अन्य चुनावों में स्थिति साठ से 39 फीसद के इर्द-गिर्द सिमटी रही है। मतदान एक्सपेस मैनपुरी शहर में भी इस बार थोड़ा पीछे रही, तो किशनी में इस बार कुछ तेज रफ्तार से दौड़ी। अब जसवंत नगर और करहल के कमजोर मतदान को लेकर सपा और मैनपुरी शहर में ढीले मतदान भाजपा नेताओं के माथे पर सिलवटें डाल रहा है। इस बार कुल मतदान फीसद बीते चुनाव की अपेक्षा तीन फीसद से कुछ कम रहा है। मतदान पर एक नजर
लोकसभा चुनाव- मतदान फीसद
1951- 40.97
1957-50.04
1962-58.55
1967-59.47
1971-39.36
1977-62.03
1980-54.24
1984-61.53
1989-54.15
1991-50.74
1996-59.49
1998-59.34
1999-52.30
2004-59.46
2009-49.67
2014-60.46
2019- 57.37