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बड़ी कठिन है मंदिरों की डगर

मंदिरों के मार्ग की स्वच्छता और सुरक्षा को लेकर पालिका व प्रशासन दोनों बेफिक्र दिखते हैं। शीतला माता मंदिर काली माता मंदिर नगरिया स्थिति शिव मंदिर हरिदर्शन नगर स्थित राजराजेश्वर मंदिर आगरा रोड स्थित भीमसेन मंदिर कचहरी रोड स्थित दुर्गा माता मंदिर सहित अन्य मंदिरों के मार्ग गंदगी से पटे रहते हैं। मंदिरों में तो सफाई रहती है लेकिन इनसे जुडे़ लगभग 200 मीटर के रास्तों पर तो सफाई नजर ही नहीं आती। पालिका के कर्मचारियों की मनमानी ने शीतला माता मंदिर वाली सड़क के बडे़ हिस्से को अस्थायी डलावघर में तब्दील कर दिया है। कूडे़ के ढेर पर आवारा सूकर और बेसहारा गोवंशों की चहलकदमी रहती है। ये सड़क पर गंदगी फैलाते रहते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 04:55 AM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 04:55 AM (IST)
बड़ी कठिन है मंदिरों की डगर
बड़ी कठिन है मंदिरों की डगर

जासं, मैनपुरी : ²श्य एक

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शहर में कचहरी रोड पर स्थित दुर्गा माता मंदिर की ओर जाने वाला आश्रम रोड का मार्ग गंदगी से पटा रहता है। यहां मोड़ को ही पालिका द्वारा अस्थायी डंपिग जोन बना दिया गया है। सफाई कर्मचारी आसपास के स्थानों से कचरा लाकर यहां डंप कर देते हैं। दोपहर तक कचरे का उठान नहीं होता। मजबूरी में श्रद्धालुओं को कई बार गंदगी के नजदीक होकर ही मंदिर तक पहुंचना होता है। ²श्य दो

शीतला माता मंदिर की राह में भी दर्जनों स्थानों पर गंदगी श्रद्धालुओं की मुश्किल बढ़ाती है। यहां देवी रोड से चुंगी होते हुए सड़क के दोनों किनारों पर कूडे़ के ढेर लगे रहते हैं। नवरात्रों पर तो पालिका थोड़ी सजग हो जाती है, लेकिन सामान्य दिनों में यह राह गंदगी से पटी दिखती है। गंदगी के ढेर और उनसे उठती दुर्गंध श्रद्धालुओं की समस्या बनती है। मंदिर परिसर के आसपास भी कूड़ा निस्तारण के कोई इंतजाम नहीं है। मंदिरों के मार्ग की स्वच्छता और सुरक्षा को लेकर पालिका व प्रशासन दोनों बेफिक्र दिखते हैं। शीतला माता मंदिर, काली माता मंदिर, नगरिया स्थिति शिव मंदिर, हरिदर्शन नगर स्थित राजराजेश्वर मंदिर, आगरा रोड स्थित भीमसेन मंदिर, कचहरी रोड स्थित दुर्गा माता मंदिर सहित अन्य मंदिरों के मार्ग गंदगी से पटे रहते हैं। मंदिरों में तो सफाई रहती है, लेकिन इनसे जुडे़ लगभग 200 मीटर के रास्तों पर तो सफाई नजर ही नहीं आती। पालिका के कर्मचारियों की मनमानी ने शीतला माता मंदिर वाली सड़क के बडे़ हिस्से को अस्थायी डलावघर में तब्दील कर दिया है। कूडे़ के ढेर पर आवारा सूकर और बेसहारा गोवंशों की चहलकदमी रहती है। ये सड़क पर गंदगी फैलाते रहते हैं। ये है सबसे बड़ी समस्या

असल में मंदिरों के आसपास और 200 मीटर के दायरे में स्वच्छता को लेकर किसी भी प्रकार की जागरूकता नहीं लाई जा रही है। पालिका प्रशासन द्वारा यहां कर्मचारियों को जिम्मेदारी भी नहीं दी जा रही है। डस्टबिन के भी पर्याप्त प्रबंध नहीं कराए गए हैं। डस्टबिन न होने की वजह से गंदगी को सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर ही फेंका जाता है। इनसे सीखें

शिक्षाविद डा. राममोहन का कहना है कि सफाई के लिए यदि हमें कोई दूसरा आकर बताए तो फिर हमारे शिक्षित होने का कोई अर्थ नहीं निकलता। यह विचार तो सदैव हमारे मन में रहना चाहिए। वे स्वयं सफाई का जिम्मा संभालने के साथ विद्यार्थियों को भी स्वच्छता के लिए प्रेरित करना शिक्षा ही एक हिस्सा मानते हैं। उनका कहना है कि अक्सर कैंपों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचकर विद्यार्थियों की मदद से लोगों को सफाई की जिम्मेदारी समझाकर गंदगी का निस्तारण कराते रहे हैं। ईशन नदी की सफाई में भी भरपूर सहयोग देकर एक सकारात्मक संदेश और भावनात्मक अपील लोगों से की थी। सावधान

हम बचपन से ही सुनते आ रहे हैं कि बीमारियां गंदगी की वजह से फैलती हैं। फिर भी अपनी जिम्मेदारी को नहीं समझते। लोग खुले स्थान पर ही कचरा फेंकते हैं। कचरे के सड़ने से कई बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा बढ़ता है। जो लोग अस्थमा से पीड़ित होते हैं, उन्हें ऐसे इंफेक्शन से सांस संबंधित समस्याएं जल्दी घेरती हैं। बैक्टीरियल इंफेक्शन से उल्टी और दस्त की समस्या भी बढ़ती है। इन समस्याओं से बचने के लिए जरूरी है कि कचरे को निर्धारित स्थान पर ही फेंका जाए और समय पर उसका निस्तारण हो।

डा. अनिल यादव, एपिडेमियोलाजिस्ट। अपील

पालिका प्रशासन की तो जवाबदेही है ही, लेकिन हम लोगों को भी अपनी जवाबदेही समझनी चाहिए। आखिर ये कचरा आता कहां से है। जिस दिन हम इस सोच के साथ आगे बढे़ंगे, उस दिन गंदगी की समस्या का स्वत: समाधान शुरू हो जाएगा।

अजय दुबे, कारोबारी। पालिका प्रशासन को पहले प्वाइंटों का सर्वे कराना चाहिए और उसके बाद वहां डस्टबिन की व्यवस्था की जानी चाहिए। यदि लोगों के सामने और पहुंच में डस्टबिन होंगे तो कचरा सड़कों पर नहीं फेंका जाएगा। इसके लिए स्थानीय स्तर पर सर्वे और लोगों से राय-मशविरे की जरूरत है।

नीलेश यादव, कारोबारी। सिर्फ कूड़ा निस्तारण से ही शहर की स्वच्छता नहीं होने वाली है। आवारा जानवरों पर भी अंकुश जरूरी है। जिन पार्कों में हरियाली होनी चाहिए, वहां सूकर दिखते हैं। हम लोगों को भी अपनी आदतों में परिवर्तन करना होगा। गंदगी को निर्धारित स्थान पर ही फेंकने की आदत डालनी होगी।

अनिल दुबे, समाजसेवी। हमें इस बात को समझना होगा कि शहर हमारा अपना है और इसकी बेहतर व्यवस्था भी हमारी अपनी जिम्मेदारी है। जिस दिन हम इस सोच के साथ आगे बढे़ंगे, गंदगी का भी सफाया होने लगेगा। पालिका प्रशासन को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए पहल करनी चाहिए।

बबलू मियां, धार्मिक गुरु।


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