यहां भी तालाब की होती रही अनदेखी
कस्बा औंछा में सीएचसी के पीछे स्थित 12 बीघा के गड़ोकर तालाब की स्थिति बदतर हो गई।
संसू, औंछा, मैनपुरी : चमत्कारी तालाब के इतिहास को खुद में समेटने वाली च्यवन ऋषि की नगरी में ही तालाबों की स्थिति दयनीय है। 12 बीघा क्षेत्रफल में फैला गड़ोकर तालाब अब अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। बडे़ हिस्से पर कब्जा हो चुका है।
कस्बा औंछा में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पीछे स्थित है गड़ोकर तालाब। लगभग 12 बीघा क्षेत्रफल में फैले इस तालाब का बड़ा हिस्सा कब्जे की चपेट में है। रोक-टोक न होने की वजह से लोगों की हिम्मत बढ़ी और धीरे-धीरे कब्जा होता चला गया। अब, ज्यादातर हिस्से में गोबर के उपले और अन्य सामान रख लिये गए हैं। कई जगहों पर तो कब्जे की वजह से गांव की नालियों से आने वाला पानी भी अवरुद्ध हो गया है।
ऐसा नहीं है कि काम नहीं हुआ। लगभग तीन साल पहले जलस्तर को बेहतर बनाने के उद्देश्य से पूर्व प्रधान द्वारा खोदाई कराई गई थी, लेकिन आसपास के लोगों ने तालाब की मिट्टी को दोबारा काटकर अपने खेतों में मिला लिया। अब तो मवेशियों के लिए भी मुश्किल बढ़ गई है। तालाब का जलस्तर गिरने से आसपास के हैंडपंपों ने भी जवाब दे दिया है। सामूहिक पहल को जागरूकता जरूरी
क्षेत्र में कई तालाब हैं। इन तालाब को भी लोग धार्मिक नजर से ही देखते हैं, लेकिन जागरूकता के अभाव में इनको बचाने की पहल नहीं हो रही है। गांव की सभी नालियों का पानी भी रोक दिया गया है। इसकी वजह से तालाब में पानी के आने का पूरा रास्ता बंद हो गया है। कुछ लोगों ने पहल की थी, लेकिन सहयोग न मिलने की वजह से बात आगे नहीं बढ़ी। अब, दोबारा गांव वालों की मदद लेकर इस तालाब के जलस्तर को बढ़ाने के लिए सामूहिक प्रयास कराए जाएंगे।
विजयपाल सिंह गांव की प्रत्येक गली से आने वाले पानी का रुख यदि तालाब की ओर मोड़ दिया जाए तो बड़ी राहत मिल सकती है। तालाब का जलस्तर पहले से बेहतर हो सकता है। इसके बाद बारिश के जल का संचय कराया जाए।
विजय कुमार