फूटे वर्दी के भी जज्बात, रखा बेटे के सिर पर हाथ
साथी को अंतिम विदाई देने आए सीआरआरपीएफ जवानों की आंखों से भी बहे आंसू, डीआइजी सीआइएसएफ भी नहीं छिपा सके दिल का दर्द, शहीद के बेटे को किया दुलार।
हिमांशु यादव, मैनपुरी। कंधों पर देश की रक्षा की जिम्मेदारी है, दुश्मनों से हर पल लोहा लेने का जज्बा और बदन पर वर्दी। मां भारती के यह सपूत अपने जज्बात दिल में छिपाए रखने का हुनर रखते हैं, मगर मैनपुरी के लाल शहीद रामवकील जब शनिवार को अंतिम सफर पर निकले तो वे भी अपने जज्बात नहीं छिपा सके। आम लोगों की तरह उनकी आंखों से भी आंसू बह निकले। नाबालिग अंकित जैसे ही पिता के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि देने पहुंचा, डीआइजी सीआरपीएफ के दिल में छिपा दर्द उभर आया। आंखों में आंसू लिए उन्होंने मासूम के सिर पर हाथ रखा और हर पल साथ होने का भरोसा दिया।
शहीद रामवकील के पार्थिव शरीर के साथ सुबह करीब साढ़े छह बजे सीआरपीएफ का जत्था गांव विनायकपुर पहुंचा। जत्थे में सीआरपीएफ के डीआइजी टीएन खूंटिया व एके थॉमस जॉब, एसपी शशिकांत चतुर्वेदी के साथ अन्य अधिकारी और 50 जवान इसमें शामिल थे। उनके चेहरों पर आतंकी हमले को लेकर आक्रोश साफ झलक रहा था, परंतु अपने दिलों का दर्द किसी को महसूस नहीं होने दे रहे थे। मगर, ज्यों-ज्यों अंतिम यात्रा आगे बढ़ी इन जाबांजों के चेहरों पर दर्द की रेखाएं खिंचती चली गईं। जब मुखाग्नि का समय आया तो कई जवान अपनी रुलाई नहीं रोक सके। एक जवान तो अपनी आंखें लगातार पोंछता रहा। इस दौरान डीआइजी सीआरपीएफ एके थॉमस जॉब की भी आंखें नम थीं। वह बुरी तरह रो रहे शहीद के बेटों अंकित और अर्पित के पास पहुंच गए। उनके सिर पर हाथ रखा और कहा कि अपने को अकेला मत समझो। हम सब तुम्हारे साथ हैं। इसके बाद जाते-जाते दोनों डीआइजी, डीएम प्रदीप कुमार और एसपी अजय शंकर राय से भी परिवार की मदद के लिए अनुरोध करके गए।