बलरामपुर में शिक्षक, मैनपुरी में मनरेगा मजदूर
ग्राम प्रधान का रिश्तेदार दो साल तक वेतन और पारिश्रमिक लेता रहा। एडीओ की जांच में मामला दबाया गया। आरटीआइ से पर्दाफाश हुआ।
जासं,मैनपुरी: एक ग्राम प्रधान ने अपने ही देवर और देवरानी को मनरेगा का मजदूर बना दिया। परिषदीय विद्यालय में शिक्षक की नियुक्ति होने के बाद भी युवक दो साल तक मनरेगा से पारिश्रमिक लेता रहा। एडीओ ने जांच में मामला दबा दिया मगर, बलरामपुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी से सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी मिलने से मनमानी का पर्दाफाश हो गया।
ये प्रकरण बेवर ब्लाक के गांव सैदपुर का है। गांव के सूरजपाल ने पिछले वर्ष की आठ अगस्त को डीएम और सीडीओ से शिकायत की थी। इसमें आरोप लगाया था कि ग्राम प्रधान अनीता देवी ने अपने देवर संतोष कुमार और उनकी पत्नी को मनरेगा मजदूर बना दिया है। जबकि संतोष कुमार बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक है। शिकायत पर उपायुक्त श्रम रोजगार मनरेगा ने जांच कराई। यह बताया जांच में
सहायक विकास अधिकारी (एडीओ) ने अपनी जांच में बताया कि प्रधान के देवर संतोष ने दो जुलाई 2018 से शिक्षा विभाग में नौकरी लगने के बाद से मनरेगा में काम नहीं किया है। जांच रिपोर्ट में 23 मई 20 से पांच जून 20 तक के मस्टरोल को आधार बनाकर इसमें दोनों का नाम नहीं होने का उल्लेख कर मामले को दबा दिया। बलरामपुर से मिली सच्चाई
एडीओ की जांच रिपोर्ट के बाद शिकायतकर्ता सूरजपाल ने बीएसए बलरामपुर से आरटीआइ के तहत संतोष कुमार के बारे में जानकारी मांगी। इसी वर्ष 12 अगस्त को बीएसए ने भेजे जवाब में जानकारी दी कि संतोष कुमार निवासी सैदपुर, मैनपुरी की नियुक्ति दो जुलाई 2016 को हुई। वह गौसरी ब्लाक के प्राइमरी विद्यालय में तैनात हैं। शिक्षा विभाग की इस जानकारी को सूरजपाल ने वाट्सएप के जरिये डीएम और सीडीओ को दी है।
शिकायत पर ब्लाक से जांच कराई थी, मामला सही नहीं मिलने पर इसे समाप्त कर दिया था। अब, शिक्षा विभाग की सूचना के साथ शिकायत मिलेगी तो कार्रवाई कराई जाएगी। मनरेगा से शिक्षक सेवा काल में लिए गए मानदेय की वसूली कराई जाएगी।
-पीसी राम, उपायुक्त मनरेगा, मैनपुरी।