दूध निकालने के बाद लावारिस छोड़ रहे गोवंशी
बेसहारा गोवंशी फिर बनने लगे मुसीबत प्रशासनिक अधिकारी मौन
जासं, मैनपुरी: गो आश्रय स्थल और संरक्षण केंद्रों पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बाद भी बेसहारा गोवंशी की समस्या दूर नहीं हो पा रही है। भूसे की महंगाई भी प्रमुख वजह मानी जा रही है। ऐसे में पालक भी दूध निकालने के बाद गाय और गोवंशी को लावारिस छोड़ने लगे हैं, जिससे ये आमजन और किसानों के लिए मुसीबत बनने लगे हैं।
सरकार बेसहारा गोवंशी को संरक्षित किए जाने पर करोड़ों रुपये हर माह खर्च कर रही है। लेकिन, ये समस्या समाप्त होना तो दूर, कम ही नहीं हो रही है। अब भी शहर की हर राह और गली में सांड़ और गाय नजर आ रही हैं। कस्बों और गांवों में भी ऐसे ही हालात हैं। गोवंशी से किसान और दुकानदार भी परेशान हो रहे हैं।
मार खा रहा गोवंशी
भूसा मंहगा होने से गोवंशी को पेट भरने के लिए पालक सड़कों पर छोड़ रहे हैं। शहर के भदावर हाउस, सोतियाना, कचहरी रोड, राजा का बाग आदि क्षेत्रों में सुबह से बछड़े और गाय घूमते नजर आते हैं। नुकसान से बचने के लिए ठेल वाले ऐसे गोवंशी को मारकर भगाते दिख रहे हैं।
सड़कों पर विचरण करते गोवंशी की इस हालत के लिए पालकों के अलावा जिम्मेदार अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। शहर में हो-हल्ला मचने पर पालिका अभियान चलाने का स्वांग रचती है। कुछ गोवंशी को दिखावे के लिए गोशाला लाया जाता है। टैगिग नहीं होने से ये बाद में सड़कों पर ही नजर आने लगते हैं।
पशुपालकों पर हो मुकदमा
शहर के भदावर हाउस निवासी अनु तोमर गोवंशी की ऐसी हालत के लिए पालक को दोषी मानती हैं। उनका कहना है कि वह चार दिन से एक गाय एवं उसके बच्चे के साथ पाल रही हैं। इसे पालक ने दूध नहीं देने की वजह से छोड़ दिया है। उनका कहना था कि प्रशासन को ऐसे पालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके जुर्माना लगाना चाहिए।
शहर में बेसहारा गोवंशी की समस्या का निदान पालिका को करना होता है। टैग लगे गोवंशी सड़कों पर बेसहारा विचरण करते मिले तो विभाग को जानकारी दें, कार्रवाई कराई जाएगी।
-डा. बीपी सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।